Akshaya Tritiya 2023 Date: अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है, ये है मुख्य कारण, जानें सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त
हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया (आखा तीज) का त्योहार मनया जाता है। अक्षय अर्थात कभी न खत्म होने वाली खुशी, जिसका क्षय न हो, शाश्वत, सफलता और तृतीया यानी ‘तीसरा’. इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार 22 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा। कहते हैं इसी दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था.धार्मिक दृष्टि से अक्षय तृतीया का दिन धनतेरस और दीपावली के समान पुण्यफलदायी माना गया है। इस दिन शुभ और मूल्यवान वस्तुओं की खरीदी की जाती है। पुराणों में अक्षय तृतीया तिथि को त्योहार की तरह मनाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। आइए जानते हैं किन 5 बड़े कारणों की वजह से अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया ?
भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ अक्षय तृतीया तिथि को हुआ और द्वापर युग की समाप्ति भी इसी तिथि को हुई थी। सतयुग में भगवान विष्णु ने मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह और नृसिंह अवतार लिया था, वहीं अधर्म पर धर्म की जीत पाने के लिए त्रैतायुग में भगवान विष्णु ने वामन, परशुराम और भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन श्रीहरि के परशुराम अवतार की उपासना करने वालों को कभी पितरों का आशीर्वाद मिलता है और इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं।
पृथ्वी पर पधारीं थी आज मां गंगा
पुराणों के अनुसार राजा भागीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया था। शिव जी के आशीर्वाद और राजा भागीरथ के सफल तप की वजह से अक्षय तृतीया पर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी। कहते हैं कि इस दिन गंगा स्नान करने से पिछले सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति सुख पाता है।
बद्रीनारायण और बांके बिहारी जी के दर्शन
अक्षय तृतीया तिथि पर चार धाम में से एक भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। साथ ही मथुरा में में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं, सालभर बांके बिहारी जी के चरण वस्त्रों से ढके होते हैं। कहते हैं जो इस दिन उनके चरणों के दर्शन पाता है वह स्वर्ग लोग में स्थान प्राप्त करता है।
मां अन्नपूर्णा का जन्म दिवस और अक्षय पात्र की प्राप्ति
पुराणों के अनुसार अन्न की दाता माने जाने वाली माता अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। मान्यता है जो इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा और धन-अन्न का दान करता है उसके भंडार कभी खाली नहीं होते। पौराणिक कथा के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर ही युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इसकी महत्ता ये है कि ये पात्र कभी खाली नहीं होता. यही कारण के है अक्षय तृतीया से किसान खेत को जोतना शुरू करते हैं।
महाभारत लेखन का आरंभ
महाभारत को पंचम वेद की संज्ञा दी गई है। महर्षि वेदव्यास ने अक्षय तृतीया के दिन से ही महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत में ही श्रीमद्भागवत गीता समाहित है। कहते हैं इस दिन जो गीता के 18वें अध्याय का पाठ करता है वह जीवन में कभी दुख और दरिद्रता का भोगी नहीं बनता।
दान से मिलेगा अक्षय फल
अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है। कहते हैं कि इस दिन दान कर्म करने वालों को मृत्यु के बाद यमराज के दंड का पात्र नहीं बनना पड़ता।
अक्षय तृतीया 2023 मुहूर्त
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि शुरू – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07.49
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त – 23 अप्रैल 2023, सुबह 07.47
पूजा मुहूर्त – सुबह 07.49 – दोपहर 12.20 (22 अप्रैल 2023)
सोना खरीदने का मुहूर्त – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07.49 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 07.47