अंकित और जयश्री ने थामा एकदूजे का हाथ : मेहंदी-संगीत से लेकर विदाई तक, Click कर देखिए शादी की Unseen Photos

Varanasi : प्रतिष्ठित कोयला कारोबारी उमाशंकर पांडेय की पुत्री और आज एक्सप्रेस के सीईओ-फाउंडर विनय कुमार पांडेय की छोटी बहन जयश्री पांडेय का विवाह समाजसेवी रिटायर बैंककर्मी अखिलेश बाजपेई के पुत्र अंकित बाजपेई के साथ 22 फरवरी को विधि-विधान से हुआ। इससे पहले, सोमवार 21 फरवरी को मेहंदी-संगीत की रस्मअदायगी हुई। बुधवार को वाराणसी के पंचइतिया कुआं स्थित एक लॉन में जयश्री और अंकित का विवाह वैदिक मंत्रोचारण के साथ खुशी के माहौल के बीच संपन्न हुआ।

आंखों में आंसू

इस दौरान अपनी शादी की रस्मों के दौरान जयश्री कई बार भावुक दिखीं। जयश्री जब गाड़ी में बैठ कर अंकित के साथ विदा हो रही थीं तो भावुक थीं, उनकी आंखों में आंसू थे। पिता उमाशंकर पांडेय को इस पल की खुशी तो थी पर बेटी विदा हो रही थी तो उनकी भी आंखें नम थीं। बहन को विदा करते समय तीनों भाई विनय, राघवेंद्र और आशुतोष की आंखें भी भर आई थीं।

रात भर वैवाहिक रस्में अदा हुईं

रात भर वैवाहिक रस्में अदा होने के बाद अगली सुबह सूर्योदय से पहले मंगल बेला में विदाई की रस्म पूरी हुई। वैवाहिक आयोजन में जनप्रतिनिधि, विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोग, शासनिक-प्रशासनिक अधिकारी, कारोबारी, अधिवक्ता, समाजसेवी, मीडिया जगत से जुड़े लोग, परिवार के सदस्य और स्वजन मौजूद थे। जिंदगी का नया अध्याय शुरू होने पर शुभेच्छुओं ने अंकित और जयश्री को आशीर्वाद दिया।

बड़े भाई ने सभी का आभार जताया

शादी संपन्न होने के बाद जयश्री के बड़े भाई और आज एक्सप्रेस के सीईओ-फाउंडर विनय पांडेय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर सभी का आभार जताया। विनय पांडेय ने लिखा कि- ‘हसरतों की जिस तरह कीमत नहीं होती उसी तरह संबंधों से बड़ा तोहफा इंसानी जीवन में कुछ नहीं। बड़ा करना है तो रुपये नहीं, संबंध कमाइए-सहेजिए-निभाइए। दुलारी बहन जयश्री की शादी में एक बार फिर मुझे यही महसूस हुआ। वैवाहिक रस्में सकुशल संपन्न कराने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जिन साथियों, बड़े-बुजुर्गों और अनुजों ने सहयोग किया उनका दिली शुक्रगुजार हूं। इसी तरह आशीर्वाद, प्यार-दुलार और सहयोग बनाए रखें। जिंदगी के सफर में नई मंजिल की ओर बढ़ने पर अंकित और जयश्री को शुभकामनाएं, अनंतआशीष। ऐसे मौकों के लिए तुलसी बाबा कहते हैं- जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू। जय सीताराम। वंदे भवानीशंकर।’

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