Asad Ahmad Last Rites : कड़े पहरे में असद को दफनाया गया, बुर्के में पहुंची इतनी महिलाएं, डेढ़ घंटे की लंबी पड़ताल के बाद पुलिस ने छोड़ा
Asad Ahmad Last Rites-Uttar Pradesh : उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी असद अहमद का अंतिम संस्कार शनिवार को प्रयागराज में किया गया। असद को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफन किया गया। अंतिम संस्कार में 25 से 30 लोग शामिल हुए। पुलिस की कड़ी सुरक्षा में उसको दफनाया गया। इस दौरान ड्रोन से निगरानी की गई। कब्रिस्तान में कुछ दूर पहले ही मीडिया के एंट्री भी रोक दी गई। असद के नाना, मामा और बाकी परिवार के लोग शामिल हुए।
बुर्के में पहुंचीं महिलाएं
इस दौरान कब्रिस्तान में चार संदिग्ध बुर्का पहने महिलाएं पहुंची। पुलिस के रोकने पर महिलाएं मस्जिद में दाखिल हो गईं। पुलिस ने उन महिलाओं से पूछताछ की। महिलाओं में अतीक की बहन शाहीन उनकी बेटी और तीन रिश्तेदार महिलाएं थी। पुलिस ने डेढ़ घंटे की पड़ताल के बाद सभी को वापस जाने दिया।
झांसी से प्रयागराज लाई गई लाश
एनकाउंटर में मारे गए और गुलाम के शव को झांसी से प्रयागराज लाया गया था। दोनों के शव को लेने उनके परिजन शुक्रवार की शाम झांसी पहुंचे थे। असद का शव लेने उसके फूफा उस्मान पहुंचे, जबकि गुलाम का शव लेने उसका साला नूर आलम पहुंचा। असद का शव दफनाने के लिए कसारी मसारी कब्रिस्तान में तैयारी कर ली गई थी। असद के शव को घर नहीं ले जाया गया। उसके शव को सीधे कब्रिस्तान ले जाया गया।
शाइस्ता भी नहीं देख पाई बेटे का मुंह
अतीक अहमद ने अपने बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अर्जी दी थी। लेकिन कोर्ट का समय शुरू होने से पहले ही उसका अंतिम संस्कार शुरू कर दिया गया। अतीक अशरफ और अली अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। वहीं असद की मां शाइस्ता परवीन भी अपने बेटे को आखिरी समय में नहीं देख पाई।
उमेश पाल थे मुख्य गवाह
याद होगा, गुरुवार को झांसी में यूपी एसटीएफ ने असद और गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराया था। असद और गुलाम उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य आरोपी थे। गौरतलब हा, उमेश पाल की 24 फरवरी को हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह था।
अतीक के वकील कहिन
असद के अंतिम संस्कार के बाद अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा ने कहा कि कोर्ट के समय के पहले दफन कर दिया गया इसलिए कोर्ट में अर्ज़ी नहीं लग सकी। हमारी मांग थी कि अतीक अहमद को असद के ज़नाजे में शामिल किया जाए। शाइस्ता परवीन यहां मौजूद नहीं थी। शासन-प्रशासन ने अंतिम प्रक्रिया कराने में सहयोग किया और किसी को एतराज़ नहीं है।