एडिटोरियल बड़ी बोल 

#बतकहीबाज : खैरियत से हूं मैं मेरे शहर में, तुम अपने शहर में अपनी हिफाजत करना, किसी का हाथ छूना नहीं और किसी का साथ छोड़ना नहीं

बतकहीबाज

खैरियत से हूं मैं मेरे शहर में, तुम अपने शहर में अपनी हिफाजत करना, किसी का हाथ छूना नहीं और किसी का साथ छोड़ना नहीं। असल में, बनारस और बनारसियों के तौर-तरीके हर लोगों से जुदा हैं। यहां किसी चीज को समझाने के लिए ‘अपना तरीका’ अपनाया जाता है। किसी मसले को बताने के लिए जागरूकता मुहिम न चला कर सीधे सच से सामना कराना पड़ता है। तकरीबन ज्यादातर लोग वाकिफ हैं, शहर के छह रेलवे स्टेशनों में से एक का नाम बनारस रेलवे स्टेशन है। बनारस रेलवे स्टेशन का नाम पहले मंडुआडीह रेलवे स्टेशन हुआ करता था। खैर, जब हुआ करता था, तब हुआ करता था, यह बात पुरानी है।

पुरानी बात छोड़ हम नए हालात की चर्चा करते हैं। राज्य की राजधानी Lucknow, Noida, Prayagraj और Varanasi के मौजूदा हालात किसी से छुपे नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद नजदीकी माने जाने वाले Gujarat cadre के पूर्व IAS MLC अरविंद कुमार शर्मा बनारस में इन दिनों Campaign कर रहे हैं। कमियों को दूर करने के साथ खतरनाक संक्रमण Covid-19 से लोगों को बचाने के लिए Commissioner, IG, DM, Police Commissioner आदि-इत्यादि अफसरान लोगों को दो गज दूरी, मास्क है जरूरी का पाठ पढ़ा रहे हैं। Weekend lockdown भी अमल में लाया गया है। बावजूद इसके Public किसी की कहां सुनती है?

चलिए, हम वापस चलते हैं बनारस रेलवे स्टेशन पर। बनारस रेलवे स्टेशन पर वापस चलना इस वजह से जरूरी है कि यहां Corona Virus के साथ यमराज सीधे पहुंच गए। अब Virus साथ में खुद लेकर यमराज सामने आ जाएं तो किसी की भी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। Chronology समझिए, जिसके भी सामने Virus के साथ यमराज खड़े होंगे उसका पता नहीं क्या-क्या फट गया होगा?

यहां अच्छा इतना रहा कि, यमराज किसी को अपने साथ न ले जाकर मास्क पहने, Social Distancing का ख्याल रखने, Sanitizer (प्रक्षालक) का इस्तेमाल करने, साफ-सफाई पर ध्यान देने के साथ लापरवाही करने पर दोबारा मुलाकात होने का वादा कर वापस हो लिए।

दरअसल, लोगों को Aware करने के लिए एक Sean Create की गई। रेलवे स्टेशन पर यमराज के Getup में मास्क पहनकर एक भले मानुष Corona Virus के साथ लोगों को जागरूक करने के लिए निकले थे। उन्होंने Public को समझाया, बताया, चेताया कि हर चीज को हल्के में नहीं लेते। जान बचाने के लिए जिम्मेदार हो जाएं, अन्यथा की स्थिति में फनी दुनिया को अलविदा कहना पड़ेगा। वैसे- शाखें रहीं तो फूल-पत्ते भी आएंगे, यह दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएंगे।

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