बटुकों ने अनोखे अंदाज में किया हिंदू नव वर्ष का स्वागत : सनातन पंचांग का विमोचन हुआ, देखें तस्वीरें
Varanasi : धर्म और आस्था की नगरी काशी में भारतीय नवसंवत्सर वर्ष 2080 का स्वागत अनोखे अंदाज में किया गया। शंकराचार्य घाट पर नव संवत्सर पर मंगलम कार्यक्रम में बटुकों ने सूर्य नमस्कार से नवसंवत्सर वर्ष का स्वागत किया। नवरात्र के प्रथम दिन केदार घाट स्थित विद्या मठ की ओर से विविध आयोजन किए गए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सनातन पंचांग का विमोचन किया। वहीं झंडोत्तोलन के साथ बटुकों ने पथ संचलन किया। इसके पूर्व गंगा स्नान और उदित होने वाले वर्ष के पहले सूर्य को नमस्कार किया।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गुरुकुल में लगभग 200 छात्र अध्ययन करते हैं। सभी ने वर्ष के पहले उदित सूर्य को अर्घ्य दिया और नमस्कार किया। राष्ट्र का ध्वजोत्तोलन किया गया। पंचांग के फल का श्रवण किया गया। बताया कि यह परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। सनातनियों के घरों पर आज नए झंडे लगाए जाते हैं। नीम के पत्ते के साथ अजवाइन, नमक, हींग, जीरा आदि मिलाकर उसको खाया जाता है, ताकि वर्ष पर्यंत हमारे शरीर में कोई रोग न हो। इस तरह के नव वर्ष का स्वागत किया जाता है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति बदल रही है। प्रकृति के साथ सर्वत्र छेड़छाड़ हो रही है। जब वर्षा का समय नहीं होता तो वर्षा होती है और जब समय होता है तो वर्षा नहीं होती है। मंगलवार की रात धारा प्रवाह जलप्रपात प्रकृति के अनियमित होने का संकेत है। इसका यही संकेत है कि लोग सचेत हो जाएं।


ज्योतिषी को दान करने की भी परंपरा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे यहां परंपरा है कि हम सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आज उसी परंपरा का निर्वहन किया गया। जितने भी सनातनी होंगे उनके घरों के ऊपर आज नया झंडा लगा दिया जाता है। नीम के पत्ते पारिजात के फूल उनमें नमक, अजवाइन, जीरा मिलाकर उसको खाया जाता है। इससे पूरे साल हमारे शरीर में रोग नहीं होते। ज्योतिषी को बुलाकर उन्हें दान करने की भी परंपरा है।