BHU में बोले आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त, 100 वर्षों से लगातार शिक्षा और नेतृत्व में उत्कृष्ठता के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहा विश्वविद्यालय
Varanasi : ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओफरैल ने कहा, नई शिक्षा नीति 2020, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच महत्वपूर्ण साझेदारियों को और विकसित करने का बेहतरीन अवसर है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में बीएचयू के छात्रों व संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत सुधारात्मक परिवर्तन के लिए किये जा रहे भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। कहा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने आधुनिक भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक योगदान दिया है एवं स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले अपने विद्वानों व ख्यातिलब्ध पुरा छात्रों तथा आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उपलब्धियों की बदौलत विश्वविद्यालय100 वर्षों से भी अधिक समय से शिक्षा एवं नेतृत्व उत्कृष्ठता में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, भारत और ऑस्ट्रेलिया के लोगों के बीच सम्पर्क व संबंधों का काफी विस्तार हुआ है। जिससे दोनों देशों के संबंधों की दीर्घकालिकता सुनिश्चित हुई है। ऐसे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान व यहां के छात्र व शिक्षकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरीसन ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध पारस्परिक समझ, विश्वास, साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों व विधि सम्मत शासन के सिद्धांतों पर आधारित हैं। ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा, दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर एकमत हैं कि शिक्षा, शोध व कौशल विकास, भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा न सिर्फ हमारे देशों के विकास को गति देती है। कोविड-19 के संकट से उबरने में भी हमें सहायता कर रही है। कोविड-19 महामारी से निपटने एवं टीकाकरण अभियान के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए, बैरी ओफरैल ने कहा, इस महामारी से उबरने की दिशा में भारत इस क्षेत्र में अनुकरणीय नेतृत्व दे रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलिया चिकित्सा, ऊर्जा, इंजीनियरिंग, बायोसाइंसेज़ जैसे कई क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रहा है और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई एवं भारतीय उद्योंगों की शोध विशेषज्ञता से न सिर्फ नए ऊत्पाद पैदा हो सकते हैं बल्कि नए ज्ञान व समझ का भी सृजन होगा, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि महान शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने आप में बहुत अनूठा विश्वविद्यालय है जहां विज्ञान से लेकर अध्यात्म, प्राचीन से लेकर आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं संस्कृति व मूल्यपरक शिक्षा का अद्भुत संगम दिखता है। उन्होंने कहा कि अध्यापन, शोध व नवोन्मेष के क्षेत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का योगदान उल्लेखनीय है। शोध व नवोन्मेष के लिए अत्याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं की उपलब्धता से लेकर स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए इन्क्यूबेशन सेन्टर एवं बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं के लिए स्पेशिएलाइज्ड अस्पताल या अनुसंधान केन्द्र की स्थापना तक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं।

स्वागत भाषण देते हुए विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एके. त्रिपाठी ने कहा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को देश के शीर्ष संस्थानों में एवं भारत सरकार द्वारा चयनित इंन्स्टीट्यूशन ऑफ एमिनेन्स की सूची में शामिल करने में विज्ञान संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विज्ञान संकाय के संकाय प्रमुख प्रो. मल्लिकार्जुन जोशी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यलाय की यात्रा एवं उपलब्धियों का जिक्र किया एवं विश्वविद्यालय में उपलब्ध विभिन्न पाठ्यक्रमों व अध्ययन के क्षेत्रों का उल्लेख किया। उन्होंने वैश्विक एवं ऑस्ट्रेलियाई संस्थानों के साथ बीएचयू की सहयोगात्मक परियोजनाओं के क्षेत्रों की भी चर्चा की। अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के समन्वयक प्रो. एचपी माथुर ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं केन्द्र के क्रियाकलापों व गतिविधियों की जानकारी दी। उच्चायुक्त को हाथ से बना शॉल व स्मृति चिह्न भेंट किये गये।
कुलपति के साथ चर्चा
इससे पहले कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओफरैल का केन्द्रीय कार्यालय में स्वागत किया। कुलपति महोदय एवं ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त के बीच काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं ऑस्ट्रेलिया के संस्थानों के बीच परस्पर सहयोग एवं सम्बन्ध बढ़ाने के क्षेत्रों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इस दौरान कुलसचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी, विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो एके. त्रिपाठी, पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो. एएस. रघुवंशी, कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चन्द, प्रबन्ध संस्थान के निदेशक प्रो. एसके. दूबे, यूनेस्को चेयर प्रो. प्रियंकर उपाध्याय, विज्ञान संकाय के संकाय प्रमुख प्रो. मल्लिकार्जुन जोशी, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. बीआर. मित्तल, अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के समन्वयक प्रो. एचपी. माथुर, मेडिसीन विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, के प्रो. श्याम सुन्दर एवं डॉ. राजीव कुमार उपस्थित थे।