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काशी के 75 गुमनाम नायकों को सम्मानित करेगा बीएचयू : संगीत, साहित्य और आजादी की लड़ाई से जुड़े भूले-बिसरे लोगों की होगी खोज, माॅनिटरिंग कमेटी ने नाम तय करने वालों की बनाई समिति 

Varanasi : 75 ऐसे गुमनाम नायकों की खोज की जा रही, जिन्होंने आजादी से लेकर आज तक का अपना जीवन दूसरों के लिए जिया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय आजादी के 75वें वर्ष पर ऐसी शख्सियतों को खोजकर सम्मानित करेगा। इनमें वे लोग भी होंगे, जो किसी गली-कूचे में तबला, सितार और गायकी पर दुनिया को राह दिखा रहे हैं, मगर अपने शहर में ही गुमनाम जिंदगी बिताते हैं।

ऐसे 75 लोगों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय अमृत महोत्सव सम्मान दिया जाएगा। ये सभी इस साल दिसंबर से अगले साल फरवरी तक दे दिए जाएंगे। बीएचयू के सोशल साइंस फैकल्टी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ द्वारा 1947 से 2021 के सभी गुमनाम नायकों को सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्र निर्माण में हर छोटा-बड़ा योगदान देने वाले लोग शामिल होंगे। इसमें बुजुर्ग, युवा, महिला और किन्नर भी शामिल होंगे।

किन्नरों भी होंगे सम्मान के लिए चिह्नित : सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि बुजुर्गों युवाओं महिलाओं के साथ ही कुछ किन्नरों को भी इस सम्मान के लिए चिह्नित किया जाएगा। हर सम्मान समारोह में एक दिन की संगोष्ठी होगी। उसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहलुओं पर मंथन होगा।

सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व : पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ की माॅनिटरिंग कमेटी ने नाम तय करने वालों की एक समिति बनाई है। समिति वाराणसी के 75 राष्ट्र नायकों की खोज करेगी जो  आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, संगीत, कला, साहित्य आदि क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सम्मानित जन करेंगे कला विशेष का प्रदर्शन : सम्मान समारोह संकाय के सभागार में ही होंगे। उन समारोह की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि जिस क्षेत्र के प्रतिनिधि को सम्मानित किया जाएगा वह अपनी कला विशेष का प्रदर्शन भी करेगा।

ये हैं मानिटरिंग कमेटी में : समिति में डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र सहित प्रोफेसर प्रवेश भारद्वाज, डा. अनूप कुमार मिश्र (खोज समिति के चेयरमैन), डॉ. सुनीता कुमारी, शुभम मिश्र और सुमित कुमार सिंह शामिल हैं। इसी महीने इसका पहला सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा।

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