Breaking Crime Varanasi ऑन द स्पॉट बड़ी बोल 

नौकरी दिलाने के नाम पर रेप करने वाले की तलाश : 17 जून को गेस्ट हाउस में घंटों युवती से की गई थी जबरदस्ती

Looking for a rapist in the name of getting a job On June 17 the girl was forced into the guest house for hours

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बड़ी बोल मेहमान लेखक 

Guest Writer : उम्मीदों का सफीना तो बढ़ाओ, समंदर से अभी दूर बहुत है तूफां

अश्कों छोड़ दो मेरे दस्त ए मिज़गां, हाल ए दिल कहभी सकती नहीं जुबां। एक ही दामन तार-2 बार-2 करते हो, क्या आदत है हकीकत कर सकते नहीं बयां। ज्यूं इश्क की सियाही जिंदगी रंग सकती है, हाफिज़ तेरी कलम से होगा नहीं अयाॅं। चाहत ने बदल डाला है आलम ए निज़ाम, तेरी सोहबत में चहकती है मौज ए रवां। ‘बांके’ उम्मीदों का सफीना तो बढ़ाओ, समंदर से अभी दूर बहुत है तूफां। Disclaimer Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा…

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Guest Writer : करीब रख़्खो सफर में दूर के चर्चे, आने वाले मौसमों के बीज बोने दो

दिल की बातों का असर दिल पे ज़रा होने दो, दिल हल्का हो जाएगा नज़र रोने दो। ख्वाब है बेश़क हकीकत से ज़ुदा लेकिन, मैं तो ख्वाबों के भरोसे हूं मुझे सोने दो। मैं वक्त की कलम से तकदीर नहीं लिखता, जो होना था हो रहा है उसे होने दो। करीब रख़्खो सफर में दूर के चर्चे, आने वाले मौसमों के बीज बोने दो। बुला के काफ़िर मुझे लोगों मुस्कुरा लो जरा, और ‘बांके’ को तकल्लुफ उठा लेने दो। Disclaime नोट- Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात,…

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Guest Writer : शिकायत मैं नहीं करता वो तो हालात कहते हैं, हासिल तेरी सांसो को हम एहसास कहते हैं

रहूं खामोश भी तेरे साथ तो हर बात हो जाती है, तुममें तुमसे तुमपे ही पूरी कायनात हो जाती है। शिकायत मैं नहीं करता वो तो हालात कहते हैं, हासिल तेरी सांसो को हम एहसास कहते हैं, नहीं मुमकिन तेरी सोहबत मगर तू दूर कहां है, फिक्र में तेरी जाने कब दिन-रात हो जाती है। ठहर जा मैं नहीं कहता किसी लम्हे से कभी भी, तेरी दूरी हर लम्हा सताती है अभी भी, मौजूद हर हालात भी मायूस हैं बहुत, हर ज़िक्र में शामिल तेरी खुशबू हो जाती है। लिखते…

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Guest Writer : किस्मत की बात है मैं किस्मत के भरोसे नहीं, कीमिया नहीं यहां मर्ज है बहुत

किसी का शक किसी का सच, किसी को ताज्जुब है बहुत, किसी का झूठ उम्दा है, कोई खुदगर्ज है बहुत। आराम तलबी में फना है जिंदगी यूंहि, सुकूं के जिक्र भरको है जिंदा जिंदगी यूंहि, सफर की बात रस्ते में साये से क्यों करूं, मयनोशी से बहकने में यहां हर्ज है बहुत। रहा खामोश तो सुना खुद के लिए मग़रूर, हां अस्मत के जिक्र पर चीखूंगा भी जरूर, जो साफगोई से रखते हैं बहुत दूरी, उनके कचहरी में किस्से दर्ज़ हैं बहुत। मरासिम के मायने किसने कितने समझे हैं, सुदो…

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Guest Writer : और उनको खुशकिस्मत कैसे कह दूं मैं, जिनके चिराग में गैरों का लहू जलता है

रंगे जूनून कभी-कभी रंगे सुकून लगता है, बिस्तर पर पड़ा जिस्म सारी रात जगता है। परवाह बेपरवाह की अक्सर वोहि करते हैं, जिन्हें खुद का साया बोझ बड़ा लगता है। और उनको खुशकिस्मत कैसे कह दूं मैं, जिनके चिराग में गैरों का लहू जलता है। आ फिर से आईने तुझे तोड़कर बिखेर दूं, मुझे आज अपना चेहरा फिर से तन्हा लगता है। उसके घर का पता मैं भूल भी गया तो क्या, वो ‘बांके’ है वो सबकी खबर रखता है। Disclaimer Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात,…

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Guest writer : वह रोटी हैं, कपड़ा हैं, हैं मकान, बस चाहें मान-सम्मान, पिता होते हैं महान

वह रोटी हैं, कपड़ा हैं, हैं मकान, वह नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान, उनसे मां की चूड़ी, बिंदी और सुहाग है, वह हैं तो बच्चों के सारे सपने हैं, वो हैं तो बाजार में सारे खिलौने हैं। उनके आगे धरती पर सब बौने हैं। बस चाहें मान-सम्मान, पिता होते हैं महान। कोमल से शरीर पर नया सा कपड़ा पहना कर, आपने खूब हंसाया है। मेरी हर जिद को सीने से लगाया, नन्हे से कदमों को चलना सिखाया।जब गिरता था ठोकरों से तो चलना सम्भलना बताया। बस चाहें मान सम्मान,…

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Guest Writer : कुदरत का मैं हिसाब रखके करूंगा क्या, हर सूरत में है लाजबाव जिंदगी

कोई ख्वाहिश न थी तू तबभी थी जिंदगी, कीमती हर कीमत पे तू बेशक थी जिंदगी। ख्वाबों ख्यालों में बिखरे किस्सों सी, सवाल ओ जवाब की थी समझ ही जिंदगी। इक ईनाम की गऱज में भटकी शहर-2, शाम ओ सेहेर कभी दोपहर थी जिंदगी। इम्तिहान ए इमानदारी हम देते रहे हमेशा, श़क ए वफादारी ही बन मिली ज़िन्दगी। कुदरत का मैं हिसाब रखके करूंगा क्या, हर सूरत में है ‘बांके’ लाजबाव जिंदगी। Disclaimer Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते…

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Guest Writer : ये जिंदगी है या ख्वाबों का सफरनामा है, समेटने को बिखरा हर एक देखो सामां है

Banke Banarasi Pankaj ये जिंदगी है या ख्वाबों का सफरनामा है, समेटने को बिखरा हर एक देखो सामां है। इक शोले की तरह जिंदगी धधकती है, ज़रूरतें किसी की किसी के अरमां है। क्या खूब रोशनी है तेरी कलम की सियाही में, जिंदगी पे अल्फाजों से लिख़ा नगमां है। बेज़ार होके भी क्या हासिल तुम्हें होगा, मुमकिन नहीं मरने तक आराम मिलना है। हज़ार शिकायत लिए ख़ामोश़ क्यों हो ‘बांके’, गुनाह ए अज़ीम बेवजह का डरना है। Disclaimer Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और…

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Guest Writer : अल्फाज़ किसी के इशारे बोलते हैं, अश़्क भी रुख़ से दिल की बोलते हैं

तेरी खामोशी में बहुत दम है, पर तू खामोश रहता कम है। कभी श़ाख़ सहलाता है पत्ता बनकर, कभी फूलों से बिखरता है खुशबू बनकर, कभी गुस्ताखी तशरीफ़ की बन जाता है, तेरा तकल्लुफ भी इक सितम है। उम्मीदों को एहसानों ने पाला है, उन्हें सिर्फ तारीफों ने संभाला है, जिन्हें झांकने की गिरेबां आदत ही नहीं, वो भी जानते हैं वक्त बड़ा बेरहम है। अल्फाज़ किसी के इशारे बोलते हैं, अश़्क भी रुख़ से दिल की बोलते हैं, इरशाद कहे कौन तुझसे ‘बांके’, शायर कहां आशिकों से कम है।…

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