मेहमान लेखक 

Guest Writer : इजाजत हो तो ताररुफ़ करवा दूं अपना, यूं मैं खुश बेनामीयत में रहने लगा हूं

Guest Writer If you allow me will get myself tarroofed as have started living in happy anonymity

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मेहमान लेखक 

Guest Writer : भूख न लगना नींद न आना, चलता रहता था ये भी सब

Banke Banarasi Pankaj प्यार का पहला खत लिख़्खा जब, मैंने तो था सच लिख़्खा सब। हर एहसास नया था मेरा, देखा था एक बार ही चेहरा, रास्तों से अनजान नहीं था, पर घर तेरा मालूम नहीं था, सच कहता हूं सच बोला था, झूठ समझ आता ना था तब। दर-दर जाकर की थी दुआएं, हसरत थी तू बस दिख जाए, तेरा चेहरा तब दिखता था, जब मैं कोई ग़ज़ल लिखता था, भूख न लगना नींद न आना, चलता रहता था ये भी सब। अब भी भूल नहीं पाता हूं, उस…

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