चीन के राष्ट्रपति पर बिहार में मुकदमा दर्ज, मोदी और ट्रंप को गवाह बनाया
Ajit Mishra
पटना। कुछ अद्भुत और नया करने के लिये बिहार राज्य हमेशा चर्चा में रहा है। इस बार कोरोना महामारी फैलाने के आरोप में चीनी राष्ट्रपति सी जिंगपिंग पर बिहार के बेतिया स्थित डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है।इसमें उल्लेखनीय यह है कि चीनी राष्ट्रपति पर मुकदमें में नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गवाह बनाया गया है।बेतिया डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ता सह याचिकाकर्ता मुराद अली ने यहाँ सीजेएम कोर्ट में चीन के राष्ट्रपति और डब्लूएचओ के डीजी सहित कुछ अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दोनों ने मिलकर पूरे विश्व में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को फैलाया है।परिवाद की विशेष बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गवाह बनाया गया है।याचिका के बारे में अधिवक्ता मुराद अली का कहना है कि साक्ष्य के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में चल रही खबरें और कई डॉक्युमेंट्स को मैने केस का आधार बनाया है।वहीं अली द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 18 जून का समय निर्धारित किया है। कोरोना के आरोपियों पर आईपीसी की धारा 269, 270, 271, 302, 307, 504 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।अब देखना है कि अधिवक्ता मुराद अली के मुकदमें का चीन के राष्ट्रपति और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।इस याचिका की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।
मुजफ्फरपुर में भी दायर हुआ था केस
इससे पहले चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping और भारत में चीन के राजदूत सनवेईडोंग के खिलाफ मुजफ्फरपुर एडीजे कोर्ट में भी परिवाद दायर किया गया था। मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने Xi Jinping पर परिवाद दायर किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि चीन ने सुपर पॉवर बनने के लिए साजिश व षड्यंत्र के तहत कोरोना को इजाद किया था।सुधीर ओझा ने बताया था कि 1981 में प्रकाशित किताब आईज ऑफ डोकेन्स से इसका खुलासा होता है। कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान के एक लैब में सबसे छिपाकर बनाया गया था। किताब में लिखा है कि चीन इसका उपयोग लॉजिकल हथियार के रूप में करेगा।अधिवक्ता का आरोप था कि चीन ने साजिश के तहत कोरोनावायरस का उपयोग किया है। भारत में भी इस बीमारी से लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग इससे पीड़ित हैं। चीन ने जानबूझकर ऐसा कार्य किया है ताकि भारत में इस बीमारी से लोगों की मृत्यु हो और आर्थिक क्षति पहुंचे।