काशी की रंगभरी एकादशी : भक्तों ने भगवान शिव और मां पार्वती के साथ जमकर होली खेली, हर ओर महादेव की जय-जयकार, 08 तस्वीरों में देखें बनारस का नजारा
Varanasi : रंगभरी एकादशी पर सोमवार को भगवान शिव की नगरी काशी में भक्तों ने भगवान शिव और मां पार्वती के साथ जमकर होली खेली। मौका था माता गौरा के गौने का। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोले की शादी हुई थी। आज ही के दिन भगवान शंकर मां पार्वती का गौना करा कर लाये थे।
तय समय पर विधि-विधान से पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आवास टेढ़ी नीम से बाबा और माता पार्वती की चल प्रतिमाएं 350 वर्षों बाद बनाई गयी चांदी और लकड़ी की पालकी में सवार होकर बाबा विश्वनाथ के धाम के लिए निकलीं। इलाका हर हर महादेव के जयघोष से गुंजायमान हो गया।
महंत कुलपति तिवारी बताते हैं कि वैसे तो काशी में रंगों की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन काशी नगरी में एक दिन ऐसा भी रहता है जब बाबा खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की चल प्रतिमा अपने परिवार के साथ निकलती हैं, वैसे तो हमारे देश में मथुरा और ब्रज की होली मशहूर है, लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन साल में एक बार बाबा अपने परिवार के साथ निकलते हैं।







द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा के इस अदभुत रंगों के खेल में पूरी काशी बाबा के रंग में रंग जाती है। मंदिर के प्रमुख अर्चक श्रीकांत महराज बताते हैं कि देवों के देव महादेव बाबा विश्वनाथ स्वयम काशी में विराजते हैं। काशी वैसे तो हर दिन बाबा भोले से जुड़ा रहता है लेकिन शिवरात्रि के बाद पड़ने वाली रंगभरी एकादशी का अपना अलग महत्व है।

इस दिन काशी भोले भंडारी के रंग में रंग जाती है। भोले बाबा इस दिन मां पार्वती के साथ खुद निकलते हैं। भक्तों के साथ होली खेलते हैं। आज के पावन दिन बाबा के चल प्रतिमा का दर्शन भी श्रद्धालुओं को होता है। बाबा के दर्शन को आस्था का जन सैलाब काशी की गलियों में उमड़ पड़ता है। मान्यता है की देव लोक के सभी देवी देवता इस दिन स्वर्गलोक से बाबा के ऊपर गुलाल फेंकते हैं।
