#CoronaFighters : ऐसे ही कर्मयोद्धा ‘कोरोना वीर’ कहलाते हैं, पढ़ने के बाद आप भी लैब टेक्नीशियन सुनील यादव को करेंगे ‘सैल्यूट’
#Varanasi : वैश्विक महामारी कोरोना ने देश में कोहराम मचा दिया है। हाल यह है कि हुजूर से लेकर हुक्मरान, क्या खास, क्या आम, कोरोना वायरस की कहर से सब खौफजदा हैं। सबसे तकलीफ देह बात है कि यह एक ऐसी बीमारी है कि जिससे इसकी यारी है, समझिए खत्म उसकी दुनियादारी है। बीमारी के खौफ और दुनियादारी को भुलाकर एक व्यक्ति लगा है उनकी सेवा में। जिनके बारे में पता हो कि यह कोरोना संदिग्ध है तो लोग वहां से कोसों दूर हो जाते हैं।
वैसे तो देश का सरकारी स्वास्थ्य महकमा कोरोना महामारी से जनता को बचाने में लगा है। मगर वाराणसी के शिवपुर राजकीय चिकित्सालय में लैब टेक्नीशियन सुनील यादव उन लोगों में शुमार हैं, जो कर्तव्य की बलिवेदी पर खुद को कुर्बान कर देने का जज्बा रखते हैं। पड़ोसी जनपद मऊ के मूल निवासी सुनील यादव महीनों से घर छोड़कर कोरोना संदिग्धों की जांच कर रहे हैं।
जब हम शिवपुर राजकीय चिकित्सालय पहुचें तो सुनील एक केबिननुमा बॉक्स के अंदर से फूल बॉडी प्रोटेक्शन पहन कर संदिग्धों की जांच में जुटे थें। सबकी जांच और सेम्पलिंग के बाद सुनील यादव बाहर आयें तो मास्क के ऊपर से झांकती आंखो में एक योद्धा की चमक और आवाज उत्साह से लबरेज थी। सुनील बता रहे थें की वह महीनों से घर नहीं गए हैं, यहीं पर जमे हुए हैं घर-परिवार को छोड़कर। जब उनसे पूछा कि डर नहीं लगता तो उनका कहना था कि मेरे परिवार के अधिकतर लोग इसी फील्ड में हैं, मुझे डर नहीं लगता, यह तो मेरा कर्तव्य है। वह आगे कहते हैं कि मुझे मां की बहुत याद आ रही है, मगर मां मेरा हौसला बढ़ाते हुए कहती हैं, बेटा अपना ख्याल रखना और वहीं रहो। तुम्हारी जरूरत वहीं है। वो यह बताते हुए थोड़ा नर्वस हो गयें की वह घर वीडियो कॉल भी नहीं करते क्योंकि परिवार या मां को देखकर भावुकता में कर्तव्यों से डगमगा न जाऊं, सुनील यादव मम्मी से बहुत प्यार करते हैं, और उन्हें मिस कर रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि कोई पत्थर भी मारेगा तो हम सह लेंगे मगर हम कोरोना को खत्म करने के पथ पर बढ़ते रहेंगे।

कर्तव्यों की कश्ती
सुनील की कर्तव्यनिष्ठा देखकर तो यही कहना है की भय के समंदर में भी कर्तव्यों की कश्ती चलाते हैं। भावना की तूफानों से जो से दूर चले जाते हैं। ऐसे ही कर्मयोद्धा ‘कोरोना वीर’ कहलाते हैं।