#Covid_19 : आप को सुरक्षित रखने के लिए पुलिसवाले भूल गए हैं अपना मर्म, पुलिस टीम पर हमला होने के बाद पढ़िए लोगों ने क्या कहा
छुट्टी मिलने के बावजूद सिगरा थाना प्रभारी ने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए नहीं लिया अवकाश
घरवाले रोज पूछते हैं हाल
निजी मसलों को भुलाकर जरूरतमंदों की सेवा में लगे हैं इंस्पेक्टर आशुतोष ओझा
#Varanasi : देश वैश्विक महामारी बन कर उभरे कोरोना वायरस #Covid19 से जंग लड़ रहा है। लॉकडाउन लागू होने के बाद पुलिसवाले, हेल्थ वर्कर और सफाई कर्मचारी अपना हंड्रेड परसेंट लोगों की सुरक्षा के लिए दे रहे हैं।
पुलिसवाले चोटिल न होते
आप को सुरक्षित रखने के लिए रोड पर दिन-रात मुस्तैद रहने वाले पुलिसकर्मी मौजूदा हालात में अपना दर्द भूल गए हैं। ऐसा इस वजह से बताना पड़ रहा है कि कुछ जाहिल लोगों को यह लग रहा है कि पुलिसवाले अपने निजी स्वार्थ के लिए सड़क पर तफरी करने से रोक रहे हैं। ऐसा न लगता तो मंगलवार की रात सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने पहुंची पुलिस टीम पर मच्छोदरी पुलिस चौकी के पास हमला न होता। चौकी इंचार्ज सहित अन्य पुलिसवाले चोटिल न होते।
अपना मर्म भूल गए
समाज के दुश्मन बन चुके ऐसे लोगों को बताना जरूरी है कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें रोक रही है, टोंक रही है, बता रही है, समझा रही है, जागरूक कर रही है। वर्दी के पीछे इंसान ही हैं, जिनकी अपनी आवश्यकताएं हैं, अपनी दुनिया है। लोगों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिसवाले अपना मर्म भूल गए हैं। दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
शायद ही किसी को पता हो
इंस्पेक्टर सिगरा आशुतोष ओझा के काम करने के तौर-तरीके से अधिकतर लोग वाकिफ होंगे। ज्यादातर लोगों को पता होगा कि इंस्पेक्टर आशुतोष ओझा जिस थाने पर भी प्रभारी रहे हैं वहां की विषम परिस्थितियों को उन्होंने अपने स्वविवेक से लोकहित में तब्दील कर दिया। लेकिन शायद ही किसी को पता हो, लोगों को सुरक्षित रखने के लिए अलाउंस कर जागरूक करने से लगायत खाने के पैकेट्स पहुंचाने वाले थाना प्रभारी सिगरा आशुतोष ओझा के बेटे लॉकडाउन की वजह से पुणे में फंसे हैं। बिटिया न्यूयॉर्क में हैं। प्रयागराज के रहने वाले इंस्पेक्टर आशुतोष ओझा के घर से रोज उनके पिता एसपी ओझा कॉल कर उनका हाल पूछते हैं।

मिल रही थी छुट्टी
इंस्पेक्टर आशुतोष ओझा को छुट्टी मिल रही थी लेकिन उन्होंने अवकाश नहीं लिया। ऐसा इस वजह से नहीं कि लॉकडाउन लागू होने के बाद जो उन्हें सड़क पर टहलता मिला उसे जमकर वह कूटेंगे। ऐसा इस वजह से कि कोई जरूरतमंद भूखे न रहने पाए। कोई तफरीबाज बिन वजह रोड पर टहल कर कहीं अपने साथ-साथ दूसरों की जान के लिए खतरा न बन जाए।
रूटीन की बात
लॉकडाउन लागू होने के बाद बात करें थाना प्रभारी सिगरा के रूटीन की तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना, बेवजह घूम रहे लोगों को कोरोना वायरस की भयावहता बताते हुए उन्हें जागरूक करना, जरूरतमंदों के बीच खाना पहुंचाना, थाना क्षेत्र में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन कराना, लोगों को सुरक्षित रखने के लिए आरोग्य सेतु ऐप स्मार्टफोन में इंस्टॉल कराना, गुजारिश के बाद भी मनमानी पर उतरे शख्स के खिलाफ सिर्फ इसलिए विधि सम्मत कार्रवाई करना कि वह सुरक्षित रहे, उसके अपने सुरक्षित रहें, उसका परिवार सुरक्षित रहे, उसका मोहल्ला सुरक्षित रहे।
इन्होंने कहा
एडवोकेट मनीष राय का कहना है कि पुलिस इस वजह से रोक-टोक कर रही है ताकि आप सुरक्षित रहें। पुलिसवालों को क्या गरज गई है कि वह आपको रोकें-टोकें। कहा, जिन लोगों ने भी पुलिस पर पत्थरबाजी की है उनके खिलाफ महामारी अधिनियम सहित अन्य सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम कर कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने कहा
प्रोफेसर देवी प्रसाद दुबे का कहना है कि पुलिस पर हमला करने वाले अनसोशल एलिमेंट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला करने वाले लोग यकीनन समाज के हितैषी नहीं हैं। ऐसे लोग मौजूदा हालात में अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी चलती-फिरती बीमारी हैं।

इनकी बात
ख्यात एस्ट्रोलॉजर पंडित लोकनाथ शास्त्री ने कहा कि पुलिस पर हमला करने वाले लोग कोरोना वायरस को हल्के में ले रहे हैं। पुलिसवालों को क्या पड़ी है कि वह उन्हें सुरक्षित रखने के लिए खुद पत्थर खाएं। उन्होंने कहा, इस तरह के लोग सिर्फ और सिर्फ डंडे की भाषा समझेंगे।

उनकी बात
युवा बीजेपी नेता आदित्य सेठ गोलू ने पुलिस पर हुए हमले की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, कोविड-19 से लोगों को बचाने के लिए जिस तरह से पुलिसवाले मेहनत कर रहे हैं वह कोई अपना ही कर सकता है। लापरवाही कर रहे लोगों को इस बात को भलीभांति समझना होगा। जिन देशों में कोरोना वायरस ने अच्छे से पांव पसार लिया है वहां की स्थिति जानने के बाद बेपरवाह लोगों के पैर तले जमीन खिसक जाएगी।
