अधर्म का विध्वंस : रावण, कुंभकरण और मेघनाद जले, बरसात का असर नहीं, माहौल राममय, सीताराम की जय-जयकार
Sanjay Singh
Varanasi : अधर्म का विध्वंस सदैव तय है। बुधवार को रावण, कुंभकरण और मेघनाद जले। पंचवटी, किष्किंधा, शबरी आश्रम, अशोक वाटिका से लगायत लंका तक जय श्रीराम, जय-जय सीताराम की गूंज रही। बरसात होने के बावजूद माहौल पूरी तरह राममय था।
75, 70 और 65 फिट के पुतले बनाए गए थे। तैयारियां पूरी थी। बरसात के बीच बुधवार यानी दशहरा पर रावण, कुंभकरण और मेघनाद जले। क्राउड कंट्रोल के लिए बरेका में इस बार पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
इस बार बरेका केंद्रीय मैदान में लीला प्रेमियों को बैठने के लिए समिति द्वारा तकरीबन आठ हजार कुर्सियां लगाई गई थीं। बताते चलें कि बरेका केंद्रीय मैदान में राम चरित मानस पर आधारित राम वन गमन से रावण वध तक का मंचन बरेका इंटर कालेज के बच्चे और बच्चियां करती हैं।
बरेका केंद्रीय मैदान पर सोमवार को रूपक के सभी कलाकारों ने मोनो एक्टिंग का पूर्वाभ्यास किया था। मैदान में विघ्नहर्ता गणेश जी, भगवान शंकर संग मां पार्वती और मां दुर्गा का आसन तकरीबन नौ फिट ऊंचा बनाया गया था।
पंचवटी, किष्किंधा, शबरी आश्रम, अशोक वाटिका व लंका बनाई गई थी। विजयादशमी समिति ने लीलाप्रेमियों को मैदान में बैठकर लीला देखने के लिए चार रंगों का पास वितरित किया था।






