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मधुमेह जागृति दिवस: गर्भावस्था में मधुमेह हो सकता है अधिक खतरनाक, मां को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

Varanasi News : 27 जून को डायबिटीज के रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ‘मधुमेह जागृति दिवस’ मनाया जाता है। मधुमेह अनुवांशिक कारणों के आलावा अनियमित जीवन शैली, तनाव, शारीरिक व्यायाम का ना होना इस बीमारी का मुख्य कारण है। पिछले कुछ समय में सबसे तेजी से हमारे देश में कई रोग पैर पसारे हैं, उनमें डायबिटीज का नाम सबसे ऊपर है। अब तो उम्र, वर्ग भी इसका मापदण्ड नहीं रह गया। किसी को भी यह बीमारी चपेट में आसानी से ले सकती है। उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि शरीर में शकर के असन्तुलन से अन्य कई गम्भीर और जानलेवा बीमारियों का हमला भी आसान हो जाता है।

डायबिटीज का एक खतरनाक स्वरूप गर्भावस्था के दौरान भी सामने आता है। जहां अनियंत्रित शुगर न केवल प्रसव में अड़चन पैदा कर सकती है बल्कि मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा स्थितियां भी बना सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस दौरान भी शुगर के स्तर को लेकर सतर्क रहा जाए।

तेजी से बढ़ रहे मधुमेह रोगी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक रूप से 1980 में 108 मिलियन डायबिटीज के मरीज थे। 2014 में इनकी संख्या 422 मिलियन हो गई। 1980 के मुकाबले 2014 में डायबिटीज पीड़ित महिलाओं की संख्या में 80 फीसद बढोतरी हुई है। (4.6 फीसद से 8.3 फीसद)। मधुमेह रोग का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर पड़ता है लेकिन यदि मधुमेह रोग महिला में हो और खासतौर पर गर्भावस्था के दौरान हो तो इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है।गर्भकालिन मधुमेह उन महिलाओं को भी हो सकता है जिन्हे कभी मधुमेह की बीमारी ना रही हो। गर्भावस्था के दौरान दूसरी एवं तीसरी तिमाही में डाइबिटीज के होने का खतरा ज्यादा होता है।

गर्भवती महिलाओं को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

भारत में हर सात में से एक गर्भवती महिला को मधुमेह होने का खतरा रहता है। महिलाओं में गर्भकालिन मधुमेह होने का एक कारण महिला का वजन भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था दौरान वजन पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण है। गर्भावधि में आहार विहार को नियंत्रित कर मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है। ऐसे कार्बोहाइड्रेट जिसमे साबुत अनाज और अपरिष्कृत अनाज एवं कम वसा वाले प्रोटीन का प्रयोग करें। अच्छे आहार के साथ चिकित्सक की सलाह से हल्के व्यायाम भी करने चाहिए।गर्भावधि मधुमेह स्वयं ठीक हो जाता है। यह जीवन भर चलने वाले टाइप १ एवं टाइप २ मधुमेह से भिन्न होता है।

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