मच्छर जनित बीमारियों पर सीधा होगा वार : District Level Vector Surveillance Team गठित, संक्रामक और आउटब्रेक की स्थिति में होगी निगरानी
Varanasi : संचारी रोगों पर काबू पाने के लिए विभाग प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रहा है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत शनिवार को मुख्य चिकिसा अधिकारी कार्यालय सभागार में सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी के निर्देशन में मलेरिया विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की एक दिवसीय एंटोंमोलॉजिकल (कीट वैज्ञानिक) कार्यशाला और प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जनपद स्तरीय वेक्टर सर्विलान्स टीम का गठन किया गया, जो संक्रामक और आउटब्रेक की स्थिति में मंडलीय टीम के साथ उस क्षेत्र का भ्रमण कर निगरानी करेगी।
कार्यशाला में सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बेसिक हेल्थ वर्कर (बीएचडबल्यू), स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, मलेरिया विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडेय और वाराणसी मंडल के जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट-बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह ने मच्छरजनित बीमारियों से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने इनके प्रकार, पहचान, जीवन चक्र, हाउस इंडेक्स, कंटेनर इंडेक्स, मच्छरों का घनत्व, लार्वा का घनत्व निकालने के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
मच्छर पनपने वाले स्रोतों की खोज तथा उनका निवारण कर लोगों को इन बीमारियों से बचाव के बारे में भी समझाया। वाराणसी और आजमगढ़ मंडल के लिए मंडलीय टीम का गठन जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट-बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह के नेतृत्व में किया गया है। हर जनपद स्तरीय टीम में एक मलेरिया-फाइलेरिया निरीक्षक, एक कीट संग्रहकर्ता और एक स्वास्थ्य पर्यवेक्षक को शामिल किया गया है।

डॉ. अमित ने बताया कि वेक्टर जनित रोगों का संचरण काल इसी मौसम में होता है जिससे विभिन्न प्रकार के संचारी व मच्छर जनित रोगों का प्रसार होता है। संचरण काल में अधिकांश रोगी ग्रामों और नगरीय क्षेत्रों से सूचित होते हैं जिनके पर्यवेक्षण और सघन निरीक्षण की आवश्यकता होती है। बुखार के रोगियों का समय से पर्यवेक्षण, सघन निरीक्षण और सतत निगरानी द्वारा ही वेक्टर जनित रोगों के आउट ब्रेक की स्थिति को रोका जा सकता है।
इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी ने मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया के कारण, लक्षण आदि के बारे में विस्तार से बताया। टीम को मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें। घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें जिससे मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं।
मच्छरों के काटने के समय शाम और रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। हर शनिवार और रविवार को लार्वा पनपने वाले स्रोतों का निवारण करें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं। ग्रामीण और शहरी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, हेल्थ वेलनेस सेंटर और चिकित्सालयों पर निशुल्क जांच-उपचार की सुविधा मौजूद है।