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BHU में ‘जीन कुंडली’ पर चर्चा : बोले प्रोफेसर – इसके जरिए भविष्य में होने वाली बीमारी का पता लगा सकेंगे

Varanasi : BHU के महामना सेमिनार कॉम्प्लेक्स में DNA के डिफेंस मैकेनिज्म पर चर्चा हुई। जिसमें विभिन्न देशों के वैज्ञानिक शामिल हुए। इन लोगों ने जीन कुंडली कैसे तैयार की जा सकती है और उससे कौन कौन सी जानकारी मिल सकती है इस पर चर्चा की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में महामारियों के डीएनए के डिफेंस मैकेनिज्म पर आयोजित अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस एडनेट-2023 का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ राखीगढ़ी मैन जाने माने पुरातत्वविद और भटनागर फेलो प्रोफेसर वसंत शिंदे ने किया। इस कॉन्फ्रेंस में 15 देशों के 21 वैज्ञानिक शामिल हुए। कार्यक्रम जी-20 समिट के अंतर्गत आयोजित किया गया है। यह अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार 12 मार्च तक चलेगा।

प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि यह 23 एडनेट है। यह एक सोसाइटी थी। इसका आयोजन पहली बार अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस डॉक्टर लाल जी सिंह के इंस्टिट्यूट में किया जा रहा है। इस कॉन्फ्रेंस में लगभग 21 स्पीकर आ रहे हैं। जो विश्व के अलग-अलग देशों में बहुत ही महान वैज्ञानिक हैं। इसमें भारत के 15 से 16 वैज्ञानिक भाग लेंगे। इसके अलावा 300 युवा वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। इस कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश है कि हम अपने जीवन का अध्ययन करें और अपने DNA का अध्ययन करें।

बीमारी के बारे में जीन कुंडली से पता लगाया जा सकता है

प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि हम इस पर भी विचार करेंगे कि क्या हम एक जीन कुंडली बना सकते हैं। इस कुंडली के माध्यम से हमें यह पता चल सके कि हमें कब किस उम्र में बीमार होंगे। कुंडली तैयार होने के बाद इसके मिलान से ये जानकारी ली जा सकती है कि आने वाली पीढ़ी कौन से रोग से ग्रसित हो सकती है। साथ ही ये भी पता चल सकता है कि जीवन के अंतिम समय में कौन सी दवाइयां उनके लिए कारगर होंगी। उसका पता भी जीन कुंडली के जरिए पता लगाया जा सकता है।

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