Varanasi 

स्वतंत्रता सेनानियों के सर्वस्व बलिदान पर चर्चा : दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी और अभिलेख प्रदर्शनी का समापन

Varanasi : राजकीय महिला महाविद्यालय BLW में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश, जिला प्रशासन वाराणसी और इतिहास विभाग राजकीय महिला महाविद्यालय BLW के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन समाज संस्कृति और साहित्य के संदर्भ का समापन हुआ।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर बिंदा परांजपे (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) की मौजूदगी थी। इस दौरान इतिहास विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉक्टर सीमा मिश्रा, सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ साउथ बिहार से आए डाॅ. किंशुक पाठक, प्रयागराज से डाॅ. नीरज सिंह, DAV वाराणसी से डाॅ. शिव नारायण और डाॅ. संजय कुमार सिंह भी मौजूद थे।

मुख्य अतिथियों का स्वागत क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी के प्रभारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राज किशोर ने किया। डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी और अभिलेख प्रदर्शनी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के दृष्टिगत महाविद्यालयों और दूर के क्षेत्रों में इस प्रकार की संगोष्ठी और प्रदर्शनी से छात्र-छात्राओं, शोध छात्रों और प्राध्यापकों को नए विचार के साथ शोध के नए आयाम सहज उपलब्ध हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि लोक कला और लोक गाथाओं से स्वतंत्रता सेनानियों के सर्वस्व बलिदान का पता चलता है।

मुख्य अतिथि ने स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों विशेषकर महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। बताया कि किस प्रकार से हर समाज के व्यक्ति ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सहभागिता दी है। अपना सहयोग दिया है। स्वतंत्रता सेनानियों और लोगों के लंबे संघर्ष के बाद भारत स्वतंत्र देश घोषित हुआ जिसने लोकतांत्रिक मूल्यों को सहेज कर रखा। जबकि, दुनिया के अन्य देशों में इस प्रकार के मूल्य खतरे में पड़े हुए हैं।

विद्वानों ने संगोष्ठी में उपस्थित समस्त स्कॉलर और शोध छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि स्वतंत्रता के मूल्य प्राचीन समय से भारतीयों में रहे हैं। जब देश अंग्रेजों द्वारा पराधीन किया गया तब स्वतंत्रता के उन मूल्यों ने उस समय की पुस्तकों ने और उन विचारों ने वर्तमान समय के स्वतंत्रता आंदोलन को पुनः प्रज्वलित किया।

स्वतंत्रता के संघर्ष में देश और देश के बाहर जिन संस्थाओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया, उस विषय पर उन्होंने विस्तार से व्याख्यान प्रस्तुत किया। विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्रदेश व देश के अनेक विश्वविद्यालयों से पधारे हुए इतिहासकारों, शोध छात्र-छात्राओं और अध्यापकों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सामाजिक सांस्कृतिक और साहित्यिक परिपेक्ष में गंभीर शोध परक शोध पत्रों का वाचन किया। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने अपना शोध पत्र अलग-अलग तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. कमलेश कुमार तिवारी ने उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रचना शर्मा ने किया। महाविद्यालय में उपस्थित समस्त प्राध्यापक और अन्य महाविद्यालय से आए हुए छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों में प्रोफेसर राजकिशोर, डाॅ. उमा श्रीवास्तव, डाॅ. रजनीश त्रिपाठी, डाॅ. साधना अग्रवाल, डाॅ. सुजीत चौबे, सुरेश यादव, डाॅ. आनंद कुमार त्रिपाठी, प्रदीप, पंच बहादुर, आनंद पाल, निरंजन पांडेय, सरोज, अरविंद त्रिपाठी, प्रबोध दुर्गा, शरद सहित कई आगंतुक मौजूद थे।

You cannot copy content of this page