भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला कौशल्या हितकारी : विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में श्रद्धालु कभी चौपाइयों पर झुमते, कभी खड़े-खड़े घूमते
Sanjay Pandey
Varanasi : विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के दूसरे दिन शनिवार को रामनगर अयोध्या के रूप में इठलाया। देव ऋषियों, मुनियों की पुकार-गुहार पर श्रीहरि ने प्रभु श्रीराम के रूप में जन्म लिया और रामायणी दल ने भये प्रकट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी से पुरा लीला स्थल गूंजा दिया।
लीला में एक मात्र महिला पात्र ने परंपरानुसार नृत्य कर ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया जैसे महादेव की नगरी काशी के इस उपनगर में ही अभी-अभी प्रभु श्रीराम का अवतरण हुआ।
लीलाप्रेमी कुछ इस तरह निहाल हुए जैसे उनके घर लाल का जन्म हुआ। कभी चौपाइयों पर झुमते तो युवा मन नृत्य के भाव पर कुछ वैसे ही खड़े-खड़े घूमते।
इस बीच चर्तुभुज भगवान विष्णु की झांकी निरख विभोर लीला प्रेमियों ने साछात प्रभु के दर्शन कर लिए। प्रसंगानुसार दुसरे, दिन किला रोड़ स्थित अयोध्या मैदान में अवध में श्रृंगी रिषिकृत अद्भुत झांकी, श्रीरामजी आदि का जन्म, विराट दर्शन, बाललीला व योगपवीत का मंचन किया गया।
आरंभ राजा दशरथ की पुत्र न होने की चिंता से हुआ। गुरू वशिष्ठ ने उन्हें पूर्व जन्म में मनु-शतरूपा रूप में तप कर प्रभु को पुत्र रूप में पाने का वरदान याद दिलाया। यह भी बताया कि श्रीहरि अपने अंशों समेत आपके घर चार पुत्रों के रूप में जन्म लेंगे।
गुरू वशिष्ठ की सलाह पर श्रृंगी रिषि द्वारा पुत्रस्टि यग से प्रसन्न अग्निदेव ने राजा दशरथ को द्रव्य प्रदान किया जिसे राजा दशरथ अपने तीनों रानियों में यथोचित भाग में बांट दिया।
रामावतार का उचित समय जान देवगण प्रकट हुए और आकाश से पुष्प-वर्षा और स्तुति की। लीला का समापन श्रीराम समेत चारों भाईयों की लाल-श्वेत महताबी की रोशनी में आरती की गई। वहीं चारों भाईयों का दर्शन कर उपस्थित लीलाप्रेमी भावविभोर हो गए।






