Guest Writer : चाहत ने कभी दिल को इतना सताया ही नहीं, अल्फाज जुबां से कहदें मैं तुझको चाहता हूं
Banke Banarasi Pankaj
ऐ जिंदगी तेरे हुस्न पर मैं गीत गाना चाहता हूं, अश्कों से कहदो पलकों मैं मुस्कुराना चाहता हूं।
हर रोज बताऊं क्या सांसों की रवानी को, हर एक धड़कन से पहले तुझको चाहता हूं।
चाहत ने कभी दिल को इतना सताया ही नहीं, अल्फाज जुबां से कहदें मैं तुझको चाहता हूं।
हद ए इंतजार के बाद ना आया वोतो क्या हुआ, वो दिल में छुपा रहे बस इतना चाहता हूं।
बा अदब बा मुलाएज़ा ए ‘बांके’ होशियार, मैं दीवानगी को खुदकुशी कहना चाहता हूं।
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