Guest Writer : सरफिरों बनके आलिम मेरा वजूद न परखो, मैंने कीमिया हर मर्ज की खुद ही बनाली है

मैंने दर्द ए दिल से अच्छी सोहबत बना ली है, मैंने आंसुओं से उनकी सांसे चुरा ली है।
दुनियां का चिढ़ाना मुझे रास आने लगा है, मैंने खुश रहने की अच्छी आदत बना ली है।
मोहब्बत सबसे है मगर अब इश्क नहीं होता, मैंने तस्वीर हकीकत की जब से बनाली है।
सरफिरों बनके आलिम मेरा वजूद न परखो, मैंने कीमिया हर मर्ज की खुद ही बनाली है।
उनसे मिलो तो कहना अब रोती नहीं धड़कन, ‘बांके’ सिसकियों से सांसों ने दूरी बना ली है।
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