मेहमान लेखक 

Guest Writer : पहले पढ़ाई सब की थोड़ी अलग सी हो गई, फिर जिंदगी की लड़ाई बहुत अलग हो गई

Banke Banarasi Pankaj

पहले पढ़ाई सब की थोड़ी अलग सी हो गई, फिर जिंदगी की लड़ाई बहुत अलग हो गई।

लगाव था हम मित्रों में मिलते रहे चौराहों पर, जीवन संगिनीयां कुछ ज्यादा हि अलग हो गई।

कोई अमीर कोई मशहूर कोई मगरूर हो गया, आदतें जिंदगी की जाने कब अलग हो गई।

फैसले मिलके लेने वाले वो कौन थे कहां गए, उन्हीं हाथों की लकीरें जाने कब अलग हो गई।

वही शक्ल देखकर ‘बांके’ कहने लगा आईना, कब जाने कैसे शख्सियत इतनी अलग हो गई।

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