बड़ी बोल मेहमान लेखक 

Guest writer : वह रोटी हैं, कपड़ा हैं, हैं मकान, बस चाहें मान-सम्मान, पिता होते हैं महान

वह रोटी हैं, कपड़ा हैं, हैं मकान, वह नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान, उनसे मां की चूड़ी, बिंदी और सुहाग है, वह हैं तो बच्चों के सारे सपने हैं, वो हैं तो बाजार में सारे खिलौने हैं। उनके आगे धरती पर सब बौने हैं। बस चाहें मान-सम्मान, पिता होते हैं महान।

कोमल से शरीर पर नया सा कपड़ा पहना कर, आपने खूब हंसाया है। मेरी हर जिद को सीने से लगाया, नन्हे से कदमों को चलना सिखाया।
जब गिरता था ठोकरों से तो चलना सम्भलना बताया। बस चाहें मान सम्मान, पिता होते हैं महान।

हर ख्वाहिश पूरा करने की ले लेते हैं ठान, साथ हैं पिता तो संग हैं भगवान। मंजिल दूर है सफर बहुत है, छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है। इस गिरती दुनिया में मैंने एक सहारे को देखा है। वह जमी मेरा, वही अंबर हैं, जब हुआ थोड़ा बड़ा घुटनों के बाद पैरों से चल पाया, तब गोदी में उठा कर इस अनजान दुनिया को दिखाया। करूं शुरुआत कहां से मेरी हर सांस एहसास में हैं वो। पिता हैं मेरे मेरी कलम से लेकर हर बात में हैं वो। बस चाहे मान सम्मान, पिता तो होते हैं महान।

Disclaimer

Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

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