Guest Writer : ये जिंदगी है या ख्वाबों का सफरनामा है, समेटने को बिखरा हर एक देखो सामां है
Banke Banarasi Pankaj

ये जिंदगी है या ख्वाबों का सफरनामा है, समेटने को बिखरा हर एक देखो सामां है।
इक शोले की तरह जिंदगी धधकती है, ज़रूरतें किसी की किसी के अरमां है।
क्या खूब रोशनी है तेरी कलम की सियाही में, जिंदगी पे अल्फाजों से लिख़ा नगमां है।
बेज़ार होके भी क्या हासिल तुम्हें होगा, मुमकिन नहीं मरने तक आराम मिलना है।
हज़ार शिकायत लिए ख़ामोश़ क्यों हो ‘बांके’, गुनाह ए अज़ीम बेवजह का डरना है।
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