बड़ी बोल मेहमान लेखक 

Guest Writer : किस्मत की बात है मैं किस्मत के भरोसे नहीं, कीमिया नहीं यहां मर्ज है बहुत

किसी का शक किसी का सच, किसी को ताज्जुब है बहुत, किसी का झूठ उम्दा है, कोई खुदगर्ज है बहुत।

आराम तलबी में फना है जिंदगी यूंहि, सुकूं के जिक्र भरको है जिंदा जिंदगी यूंहि, सफर की बात रस्ते में साये से क्यों करूं, मयनोशी से बहकने में यहां हर्ज है बहुत।

रहा खामोश तो सुना खुद के लिए मग़रूर, हां अस्मत के जिक्र पर चीखूंगा भी जरूर, जो साफगोई से रखते हैं बहुत दूरी, उनके कचहरी में किस्से दर्ज़ हैं बहुत।

मरासिम के मायने किसने कितने समझे हैं, सुदो जियां के फेर में आलिम भी देखो उलझे हैं, किस्मत की बात है मैं किस्मत के भरोसे नहीं, कीमिया नहीं ‘बांके’ यहां मर्ज है बहुत।

Disclaimer

Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

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