Guest Writer : करीब रख़्खो सफर में दूर के चर्चे, आने वाले मौसमों के बीज बोने दो

दिल की बातों का असर दिल पे ज़रा होने दो, दिल हल्का हो जाएगा नज़र रोने दो।
ख्वाब है बेश़क हकीकत से ज़ुदा लेकिन, मैं तो ख्वाबों के भरोसे हूं मुझे सोने दो।
मैं वक्त की कलम से तकदीर नहीं लिखता, जो होना था हो रहा है उसे होने दो।
करीब रख़्खो सफर में दूर के चर्चे, आने वाले मौसमों के बीज बोने दो।
बुला के काफ़िर मुझे लोगों मुस्कुरा लो जरा, और ‘बांके’ को तकल्लुफ उठा लेने दो।
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