बड़ी बोल 

Guest Writer : अजनबी चेहरों से भी कुछ सीखा करो ऐ जिंदगी, गुमनाम भी कब तक रखोगे कोशिशों का कारवां

जिसको नहीं खुदकी ख़बर लो मेरी ख़बरें है यहां, कुछ तो होना चाहिए जिसको कह पाऊं नया।

उसकी चादर सिलवटों से सब बयां करती है पर, क्यों ज़ुबां गिनती नहीं खुदकी कोई खामियां।

अजनबी चेहरों से भी कुछ सीखा करो ऐ जिंदगी, गुमनाम भी कब तक रखोगे कोशिशों का कारवां।

कोई इक कोना तो दिल का दर्द के काबू में है, जो ढ़हाने में लगा है सब्र का भी आशियां।

गैर सारे आके मुझसे हाल मेरा पूछते हैं, हैं नदारत सिर्फ ‘बांके’ तेरी ही निशानियां।

Disclaimer

Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

You cannot copy content of this page