Guest Writer : है ज़िन्दगी उसके दिल की हसरत, हासिल नहीं उसकी नियत को नफरत, वो तश़्ना है मैकस नहीं, शराफत सलामत रहो

कभी कभी तो हंस के कहो, के तुम मेरे दिल में रहो। खयालों की वो किताब हो तुम जी चाहता है पढ़ते रहो।
तस्वीर बदली है चाहत नहीं, तसव्वुर ने की है सजावट नई, रंगीनीयों ना हकीकत भुलाओ हर राज़ ए दिल बेशक कहो।
भरोसे पे तन्हा हूं तेरे गुजारिश, दीदार की सिर्फ तेरे है ख्वाहिश, श़र्म की डोर बांधेगी ख़ुशबू कैसे, इशारों निगाहों से कुछ कहो।
है ज़िन्दगी उसके दिल की हसरत, हासिल नहीं उसकी नियत को नफरत, ‘बांके’ वो तश़्ना है मैकस नहीं, शराफत सलामत रहो।
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