Guest Writer : कच्ची मिट्टी में दूबारा फिर उगेगी ज़िन्दगी, कोशिशों से ख्वाब बुनने जब लगेगी जिंदगी

कच्ची मिट्टी में दूबारा फिर उगेगी ज़िन्दगी, कोशिशों से ख्वाब बुनने जब लगेगी जिंदगी।
खामोशी किसी की जान यूं ही ना ले पाएगी, कतरा-२ सब्र का जब बन चलेगी जिंदगी।
खूब किस्मत ने इरादों को है सहारा भी दिया, खामोश रहने को कहां हासिल हुई है जिंदगी।
होंठ रुख़सारों कि जिसदिन जान जाएंगे तड़प, रुसवाई से तन्हाई की क्यों डरेगी ज़िंदगी।
एक ही एहसास ने ‘बांके’ मुझे जिंदा रखा, एक दिन बेश़क बदल कर ही रहेगी जिंदगी।
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