बड़ी बोल मेहमान लेखक 

Guest Writer : उम्मीदों का सफीना तो बढ़ाओ, समंदर से अभी दूर बहुत है तूफां

अश्कों छोड़ दो मेरे दस्त ए मिज़गां, हाल ए दिल कहभी सकती नहीं जुबां।

एक ही दामन तार-2 बार-2 करते हो, क्या आदत है हकीकत कर सकते नहीं बयां।

ज्यूं इश्क की सियाही जिंदगी रंग सकती है, हाफिज़ तेरी कलम से होगा नहीं अयाॅं।

चाहत ने बदल डाला है आलम ए निज़ाम, तेरी सोहबत में चहकती है मौज ए रवां।

‘बांके’ उम्मीदों का सफीना तो बढ़ाओ, समंदर से अभी दूर बहुत है तूफां।

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Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

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