Guest Writer : रिश्तो की वफादारी में है दर्द तो बहुत लेकिन, बेशक झेलने वाले को कह दो

कह दो ख्याल मुझको जो चाहे लिख दो, अल्फाजों कुछ तो हाल ए दिल कह दो।
इतनी फुर्सत नहीं मुझे की बहक जाऊं बार-2, कोई गुस्ताखी हुई हो तो शिकवा कह दो।
दर्द देने को हजार जख्म है हाजिर, अश्कों बह जाओ ऐ नजर कह दो।
कुछ तो वजह होगी वो खामोश है क्या यूंही, वो बेजुबां नहीं है ये तो ज़ुबां कह दो।
रिश्तो की वफादारी में है दर्द तो बहुत लेकिन, बेशक झेलने वाले को ‘बांके’ कह दो।
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