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Guest Writer : कुदरत का मैं हिसाब रखके करूंगा क्या, हर सूरत में है लाजबाव जिंदगी

कोई ख्वाहिश न थी तू तबभी थी जिंदगी, कीमती हर कीमत पे तू बेशक थी जिंदगी।

ख्वाबों ख्यालों में बिखरे किस्सों सी, सवाल ओ जवाब की थी समझ ही जिंदगी।

इक ईनाम की गऱज में भटकी शहर-2, शाम ओ सेहेर कभी दोपहर थी जिंदगी।

इम्तिहान ए इमानदारी हम देते रहे हमेशा, श़क ए वफादारी ही बन मिली ज़िन्दगी।

कुदरत का मैं हिसाब रखके करूंगा क्या, हर सूरत में है ‘बांके’ लाजबाव जिंदगी।

Disclaimer

Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

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