Guest Writer : कोई ज़ुबां चाहे जो मुझे कह दे बेशक, पानी हूं! हर रंग की सोहबत समझता हूं

कसौटी पे जिंदगी की खुद को ही परखता हूं, उस्ताद हूं! क्योंकि ये उम्दा हुनर रखता हूं।
कोई ज़ुबां चाहे जो मुझे कह दे बेशक, पानी हूं! हर रंग की सोहबत समझता हूं।
उनकी सांसें उनकी धड़कन मेरा क्या, मोहब्बत हूं! सिर्फ नेक दिल में ठहरता हूं।
हजार आरजू लिए ख्याल जीलें चाहे, गुलाब हूं! बिखर के भी महकता हूं।
च़राग सिर्फ वो नहीं जो बेइंतहा रौशन है, नूर हूं! ‘बांके’ कीमत ए नज़र समझता हूं।
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