मेहमान लेखक 

Guest Writer : जिम्मेदारी के साथ जरूरतें बढ़ने लगी हैं, ऊंचाइयां कदमों की आहट पढ़ने लगी हैं

Banke Banarasi Pankaj

जिम्मेदारी के साथ जरूरतें बढ़ने लगी हैं, ऊंचाइयां कदमों की आहट पढ़ने लगी हैं।

ये जिंदगी है इसको खामोश ना कहिए, दूरियां अब नज़दीकियां समझने लगी हैं।

कशमकश पालकर सांसे चलेंगी कबतक, इशा़र ए नज़र धड़कन समझने लगी है।

इबादत की इजाजत किसी से क्यों मांगू, खुशियां कीमत ए दर्द समझने लगी हैं।

कई मर्तबा चलते-2 ठहरा भी हूं ‘बांके’, जबसे कोशिशें रफ्तार समझने लगी हैं।

Disclaimer

Guest writer कॉलम के जरिए आप भी अपनी बात, शेर-ओ-शायरी, कहानी और रचनाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। ‘आज एक्सप्रेस’ की तरफ से Guest writer द्वारा लिखे गए लेख या रचना में कोई हेरफेर नहीं की जाती। Guest writer कॉलम का उद्देश्य लेखकों की हौसला अफजाई करना है। लेख से किसी जीवित या मृत व्यक्ति का कोई सरोकार नहीं। यह महज लेखक की कल्पना है। Writer की रचना अगर किसी से मेल खाती है तो उसे महज संयोग माना जाएगा।

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