Guest Writer : आईने तेरी खामोशी चुभती है अब, अक्श़ उसका दिखा जो चुभन बन गई
Banke Banarasi Pankaj
मुस्कुराहट तेरी एक ग़ज़ल बन गई, राहत ए दिल मेरी दरअसल बन गई।
चंद अल्फाज ही बन गये जिंदगी, दूंदे एहसास से मेहफिल सज गई।
लब ए लालाई से मेहकी शाम भी, रुख़ से ले नूर शम्मा दमक ही गई।
आईने तेरी खामोशी चुभती है अब, अक्श़ उसका दिखा जो चुभन बन गई।
कोई आशिक दीवाना सा ‘बांके’ नहीं, फिरभि अनजान धड़कन सनम बन गई।
Disclaime
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