Varanasi 

डाक विभाग में हिंदी पखवाड़ा का समापन : जन आंदोलनों की भी भाषा रही है हिंदी- प्रो. चौथी राम यादव

Varanasi : हिंदी स्वाधीनता आंदोलन के साथ-साथ जन आंदोलनों की भी भाषा रही है। भारतीय विचार और संस्कृति का वाहक होने का श्रेय हिंदी को ही जाता है। हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है।

भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है।

उक्त उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. चौथी राम यादव ने बतौर मुख्य अतिथि वाराणसी प्रधान डाकघर में हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह में व्यक्त किये।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति व संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। वैश्वीकरण के दौर में हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है।

इंटरनेट ने हिंदी को सर्वसुलभ बना दिया है, ऐसे में सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से भी हिंदी बखूबी विस्तार पा रही है।

भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। आज संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है।

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