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हिंदी पत्रकारिता दिवस : पत्रकारिता में होनी चाहिए विश्वसनीयता और वैधता- प्रो. हरिकेश सिंह

Varanasi : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस के पूर्व संध्या पर आधुनिक संदर्भ में हिंदी पत्रकारिता की संभावनाएं विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। आयोजन का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात संस्थान की छात्रा सौम्या और आस्था ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा बिहार के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि अक्षरों की अक्षरता नश्वर नहीं है इसलिए भाषा को जानना चाहिए और अपने भाषा का ज्ञान होना चाहिए। अपनी मातृभाषा अनुभूति देती है, अनुराग देती है। पत्रकारिता जो है वो पुत्रकारिता है। अपने पुत्र को जिस तरह पाला जाता है और गलत नहीम सिखाया जाता है वैसे ही पत्रकारिता में विश्वसनीयता और वैधता होनी चाहिए।

साथ ही उन्होंने काशी के दिवंगत सभी पत्रकारों को श्रद्धांजलि भी अर्पित किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अनुराग कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आज़ादी जिस भाषा में लड़ी गयी वो हिंदी है, और जो विधा है वो पत्रकारिता है। इमरजेंसी की पत्रकारिता है वो आज़ादी के पहले की याद दिलाती है। उन्होंने वर्तमान पत्रकारिता की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए कहा कि हम लिखना, बोलना, संवाद करना भूल रहे हैं। हम अपने इतिहास बोध से दूर हो रहे हैं।

हमारे पास डिग्रियां तो होती हैं लेकिन दृष्टि उस तरह की नही है जो होनी चाहिए। बीज वक्तव्य देते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि जिस जगह हम पढ़ते हैं जिस संस्था में रहते हैं हमें हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। अपनी भाषा में जब लोगों को जवाब देंगे तब हिंदी का और मान बढ़ेगा। कार्यक्रम का संचालन संचालन आकांक्षा और रुद्रकांत व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ने किया। इस अवसर पर संस्थान के डॉ. श्रीराम, डॉ. रविन्द्र कुमार पाठक, डॉ देवाशीष वर्मा, डॉ. जिनेश कुमार, डॉ. शिव यादव, अनिरुद्ध पाण्डेय, शोध छात्र मो. जावेद और संस्थान के समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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