प्राकृतिक सिद्धांतों पर काम करती है होम्योपैथी : संगोष्ठी में बोलें डॉ. अनिल – यह सरल, सहज, दुष्प्रभावरहित और सुरक्षित चिकित्सा पद्धति
Varanasi : होम्योपैथी सरल, सहज, दुष्प्रभावरहित और सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथी प्राकृतिक सिद्धांतों पर कार्य करती है और इसकी दवाएं अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में दी जाती है। होम्योपैथी में मरीज के स्वयं के और उसके बीमारी के लक्षणों के आधार पर दवा का चयन किया जाता है। चयन सही होने पर मरीज को रोग से समूल मुक्ति प्राप्त होती है।
यह बातें विश्व होम्योपैथी दिवस की पूर्वसंध्या पर राजकीय होम्योपैथिक जिला चिकित्सालय भेलूपुर में आयोजित होम्योपैथी चिकित्सा कार्यक्षेत्र, सिद्धांत एवं होम्योपैथिक से जुड़ी भ्रांतियां विषय पर आधारिक एक वैज्ञानिक संगोष्ठी में लोगों को सम्बोधित करते हुए होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कही।

डॉ गुप्ता ने कहा कि होम्योपैथिक दवाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता इम्युनिटी को बढ़ाती हैं और इसके द्वारा बढ़ती उम्र की बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है। होम्योपैथी की खोज महात्मा हैनिमैन ने 1796 में जर्मनी में की थी, और उनके जन्मदिन 10 अप्रैल को हम विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में धूमधाम से मनाते है।
होम्योपैथी के द्वारा आजकल की भागदौड़ भरी तनावग्रस्त दिनचर्या से होने वालीबीमारियों उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, अवसाद, मानसिक विकार जोड़ों की बिमारियों, एक्जिमा एंव अन्य बीमारियों से मुक्ति पायी जा सकती हैं। होम्योपैथिक दवा से किसी भी प्रकार की अपचन/दुष्प्रभाव नहीं होती है। बच्चों, महिलाओं एवं बुजुर्गों के लिए विशेषत सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथिक दवाओं को खाली पेट साफ मुंह से लेने पर इसकी कार्यक्षमता और बढ़ जाती है। होम्योपैथी के माध्यम से बार-बार होने वाली बीमारियों जैसे बवासीर, फिस्टुला, टान्सिलाटिस, साइनस, पथरी, मूत्रनली के संक्रमण, सर्दी जुकाम, एलर्जी जैसे अन्य बीमारियों से जड़ से मुक्ति मिलती है। होम्योपैथी के बढ़ते प्रचार प्रसार से कई झोलाछाप चिकित्सकों की बाढ़ सी आ गयी है। इसीलिए लोगों को एक सही चिकित्सा डिग्रीधारी चिकित्सक की ही सलाह लेनी चाहिए।

उपस्थित आमजनों/रोगियों को स्वस्थ दिनचर्या का पालन करने एवम परिवारीजनों एवम समाज में अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए शपथ के माध्यम से संकल्पित कराया गया। रोगियों को कोरोना एवं इस मौसम में होने वाली अन्य वायरस जनित बीमारियों से बचाव एवं प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हेतु दवाओं का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम में योग प्रशिक्षक मनीष पांडेय द्वारा लोगों को योग द्वारा प्रतिरोधक क्षमता में विकास के लिए जागरूक भी किया गया। संगोष्ठी में डॉ. निधि चौहान, नरेन्द्र प्रताप सिंह, संदेश प्रजापति, सत्यम, विकास मिश्रा, प्रतिमा, रीता जायसवाल, पुनीत, महेश, इकरामुद्दीन सहित अन्य लोग मौजूद रहें।