हुनर : रक्षा सूत्र से अनोखी कलाकृति बनाकर रितिका ने World Record of India में दर्ज किया नाम
मौली से अठारह भाषाओं में “लोकाः समस्ता: सुखिनो भवतु” की बनाई कलाकृति
Varanasi : कोरोना नामक महामारी ने पूरे दुनिया को तहस-नहस कर रखा है। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में रहने को मजबूर हो गए है। इसी लॉकडाउन के बीच एक कलाकार ऐसी है, जो इस नकारात्मक माहौल में सकारात्मक काम करते हुए सभी को अचंभित करते हुए विश्वपटल पर विश्वशांति के लिए अपना परचम लहरा रही है। हम बात कर रहे हैं महाराजगंज के आनंद नगर की रहने वाली रितिका सिंह की। इन्होंने लॉकडाउन में घरों में रहते हुए महाराजगंज का नाम पहली बार एक विश्व रिकॉर्ड बनाकर अपने जिले के साथ राज्य एवं देश का भी नाम रोशन किया है। रितिका विद्यापीठ की छात्रा रह चुकी है।उन्होंने यही अपना पढ़ाई पूरा किया है।
रितिका ने बनारस के रहने वाले चार बार के गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करने वाले अपने गुरु एवं मार्ग दर्शक डॉ जगदीश पिल्लई के मार्गदर्शन पर रक्षा सूत्र यानि मौली से लोकाः समस्ता: सुखिनो भवन्तु कई भाषा में एक पेंटिंग के तरह बनाना शुरू किया। रितिका बताती है कि उन्होंने 17 अप्रैल काम शुरू किया। साथ में अपने कुछ मित्र एवं परिवार वालों से “लोकाः समस्ता: सुखिनो भवन्तु” लिखा हुआ एक प्लेकार्ड के साथ फोटो खीच के भेजने के लिए भी कहा। करीब ११४ लोगों ने बहुत कम समय में “लोकाः समस्ता: सुखिनो भवन्तु” लिखा हुआ एक प्लेकार्ड के साथ फोटो खीच मुझे भेजा गया।
हम रक्षा सूत्र से पेंटिंग की तैयारी में थे। कुछ दिन काम करने के बाद जो भी काम हुआ उसका फोटो मैंने बनारस में अपने सर को भेजना शुरू किया गया ताकि आगे का मार्गदर्शन मिल सके। उन्होंने बताया कि पहली बार वर्ल्ड रिकॉर्ड केलिए काम कर रही थी इसलिए और अच्छे से मेहनत करने लगी। एक दिन में दो भाषा से ज्यादा नहीं लिख पाती थी। 17 अप्रैल से शुरू हुआ सफ़र 22 मई को 36 दिन में खत्म हुआ। पेंटिंग एवं लिखने वाले सारा फोटो एवं विडियो सर को भेज दिया। सर ने इस पेंटिंग को शुरू से बनाने से लेकर अंतिम तक का मेरे सफ़र का एक अद्भुत विडियो भी बना दिया गया जो सोशल मीडिया में अपलोड किया गया।
मैं बहुत खुश हूं
उन्होंने कहा मैं बहुत खुश हूँ की अपने शहर महाराजगंज विश्व शान्ति केलिए एक ऐसा पहल कर पायी। मेरे परिवार वाले इस काम को करने केलिए शुरू से अंत तक बहुत साथ दिए एवं हर कदम पर प्रोत्साहन देते रहें। बीते 23 मई को सारे डाक्यूमेंट्स, फोटो एवं विडियो वर्ल्ड रिकार्ड्स इंडिया को भेज दिया गया और दो दिन पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया से मेरे काम को रिकॉर्ड में दर्ज होने का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ।
ऐसे बना पेंटिंग
पेंटिंग में “लोकाः समस्ता: सुखिनो भवन्तु” अठारह भाषाओँ में लिखा गया है। जो हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, भोजपुरी, गुजराती, श्रीलंका, अरबी, उर्दू, मैथिलि, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, नेपाली, मलयालम, पंजाबी, मराठी, ओरिया, तमिल। कुल 1400 मीटर रक्षा सूत्र का उपयोग किया गया है। पूरे पेंटिंग का साइज़ 20 मीटर X0.46 मीटर है।

