तम में प्रकाश हूं, कठिन वक्त में आस हूं : विधिक खौफ न दिखाकर व्यवहारिक तौर पर पुलिस ने मसले का हल निकाला, दिव्यांग बुजुर्ग उमेश वापस घर गए
Varanasi : लाखों रुपये का पैकेज छोड़कर मां-बाप के सपनों को साकार करने के लिए आईपीएस बने 2015 बैच के अफसर सुकृति माधव मिश्रा की कविता मैं खाकी हूं जितनी वर्दीधारियों के जिंदगी के इर्द-गिर्द टहलती है उतनी ही फरियादियों से भी इत्तेफाक रखती है।
उनकी कविता की पंक्ति याद होगी- तम में प्रकाश हूं, कठिन वक्त में आस हूं, हर वक्त मैं तुम्हारे पास हूं, बुलाओ, मैं दौड़ी चली आती हूं, मैं खाकी हूं। दरअसल, 70 साल के बुजुर्ग दिव्यांग बाप को बेटों ने घर से निकाल दिया था। दिव्यांग पिता ने पिटाई किए जाने का भी आरोप लगाया था। पुलिस के हस्तक्षेप पर घर की महिलाएं बुजुर्ग को घर में नहीं घुसने दे रहीं थी।
एसएचओ सिगरा राजू सिंह ने बताया कि, बुजुर्ग उमेश के घरवालों से बात की गई। विधिक खौफ न दिखाकर व्यवहारिक तौर पर मसले का हल निकाला गया। परिवार के लोगों को गलत-सही की जानकारी दी गई। गलती का एहसास होने पर परिवार के लोगों ने बुजुर्ग को घर में रहने की इजाजत दी। कहा कि, बुजुर्ग उमेश चौहान को मोबाइल नंबर नोट कराया गया है। भरोसा दिलाया गया है कि परेशानी होने पर पुलिस उनके साथ है।
प्रकरण के मुताबिक, बुजुर्ग उमेश चौहान को उनके बेटों ने पीटकर न्यू लोको कॉलोनी पानी टंकी के पास रोड किनारे छोड़ दिया था। बेटों की पिटाई से जख्मी उमेश लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे। उमेश के अनुसार, उनको तीन बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम राहुल चौहान है। वह पांडेपुर में किराए पर रहता है। दूसरा बेटा राजा चौहान केरला में रहता है। तीसरा बेटा रवि चौहान चंदुआ छित्तूपुर चैन बाबा मंदिर के पास रहता है।
बुजुर्ग की स्थिति देखकर इलाकाई समाजसेवी दीपक गुप्ता और राजेंद्र शर्मा ने जानकारी विद्यापीठ चौकी इंचार्ज अश्विन राय को दी। सिगरा थाने के सिपाही धीरेंद्र यादव ने बुजुर्ग के घर जाकर मामले को खत्म कराने की कोशिश की लेकिन घर की महिलाएं नहीं मान रही थीं। मामला न बनता देख थाना प्रभारी निरीक्षक ने हस्तक्षेप किया।