क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज : कोविड-19 पेंडेमिक के साथ उपेक्षित बीमारियों के उन्मूलन पर हुआ गहन मंथन
Varanasi : बुधवार को सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय साउथ ईस्ट एशिया रीजन के क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम (एफ़ईटीपी) राष्ट्रीय सम्मेलन 2023 की शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य कोविड-19 महामारी सहित नेगलेक्टेड ट्रोपिकल डिजीज (एनटीडी) को नियंत्रित करने और इक्स एलिए मजबूत नेटवर्क व पब्लिक हेल्थ वर्कफोर्स तैयार करना है। उन्होंने काशी को अनोखी, अदभुत और सबसे प्राचीन धार्मिक नगरी बताते हुए उच्चस्वर में ॐ बोलकर वाराणसी का अभिवादन किया। इसके साथ ही ग्लोबल -20 की थीम ‘वासुदेव कुटुंबकम’ के बारे में जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश और विजन पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री काशी के बेटे हैं और उनकी कल्पना ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’, ‘भव्य काशी – दिव्य काशी’ तथा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका स्वास्थ्य’ बनाने की है जिस पर पूरा जोर दिया का रहा है। राज्यमंत्री डॉ. भारती ने कहा कि भारत व राज्य सरकार के नेतृत्व में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईई), चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश, भारत के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) यूएसए के सहयोग से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें नेशनल कंट्रोल ऑफ डिजीज सेंटर (एनसीडीसी) सहयोग कर रहे हैं। कार्यक्रम में देश के 17 राज्यों से आए चिकित्सक, एपिडमोलोजिस्ट व वैज्ञानिक सहित यूएसए, जापान, नेपाल, बांग्लादेश और फिलीपींस के प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की भूमिकाओं और बेहतर हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए इस तरह के प्रशिक्षण की जरूरत है। कोविड काल के अनुभव को मजबूत करने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पेंडेमिक और कोविड के बाद हमने बहुत कुछ सीखा है। इसी को ध्यान में रखते हुये कोविड काल में चिकित्सक, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी को पूरा किया जा रहा है जिससे भविष्य में किसी प्रकार की महामारी से निपटने के लिए मजबूत पब्लिक हेल्थ वर्क फोर्स नेटवर्क तैयार रहे।

राज्यमंत्री ने आयुष्मान भारत मिशन के सभी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। बताया कि आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से सीएचओ और आशा कार्यकर्ता समुदाय स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यहाँ मधुमेह, उच्च रक्तचाप, टीबी, फाइलेरिया, कालाजार, डेंगू, मलेरिया आदि की स्क्रीनिंग की जा रही है। कोविड-19 के बाद से टेली कंसल्टेशन की सेवा दी जा रही है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत देशभर में 5 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। वह देश के किसी भी राज्य में पाँच लाख रुपये तक के निःशुल्क ईलाज का लाभ उठा सकते हैं। आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के विभिन्न राज्यों के जिलों में आधुनिक लैब तैयार की जा रही है। आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत मोबाइल पर ही हेल्थ रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जा रहा है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने उपेक्षित बीमारियों (एनटीडी) के उन्मूलन पर ज़ोर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार में प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) पार्थ सारथी सेन ने क्षेत्रीय स्तर पर कार्य कर रहे एपिडोमोलोजिस्ट के साथ फ्रंट लाइन वर्कर, एएनएम और सीएचओ के प्रयास के बारे में जानकारी दी। डबल्यूएचओ इंडिया के डॉ. रोड्रिको एच ओफरिन ने महामारी के आउटब्रेक को नियंत्रित और निगरानी करने के बारे में ज़ोर दिया। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक एवं निदेशक राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र डॉ. अतुल गोयल एवं कंट्री हेड सीडीसी इंडिया डॉ मेघना देसाई ने मुख्य अतिथि सहित अन्य अधिकारियों का स्वागत सम्बोधन दिया।

तीन दिवसीय सम्मेलन में राज्य के अधिकांश स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और क्षेत्रीय महामारी प्रशिक्षण कार्यक्रम के 300 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुये है। प्रतिनिधियों के पास राष्ट्रीय/राज्य/जिला स्तर पर व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुभव है।
इस कार्यक्रम में जीएचसी यूएस सीडीसी के कार्यकारी निदेशक डॉ. डेनिस कार्डो, टेफ़ीनेट निदेशक डॉ. जॉर्ज, एचआईएम सिएरो के प्रोग्राम एरिया मैनेजर डॉ. मायशा काटो, आईसीएमआर-एनआईई के निदेशक व वैज्ञानिक डॉ मनोज मढेकर, एनसीडीसी के प्रधान सलाहकार डॉ. सुजीत कुमार सिंह, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।