BHU में होगा अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस : देश-विदेश के वैज्ञानिक बताएंगे बीमारियों से लड़ने की तकनीक, महामारियों से निपटने की बनेगी रणनीति
Varanasi : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में देश-विदेश के वैज्ञानिक महामारियों में डीएनए के डिफेंस मैकेनिज्म पर मंथन करेंगे। इसी सिलसिले में 10 से 12 मार्च तक महामना सेमिनार कांप्लेक्स में अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस होगा। इनमें चार महाद्वीप के वैज्ञानिक शामिल होंगे। जंतु विज्ञान विभाग के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप और एशिया के 15 देशों से 21 वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे। जेनेटिक्स, पर्सनलाइज्ड मेडिसिन, एंथ्रोपोलॉजी, मेडिकल जेनेटिक्स, फॉरेंसिक सहित अन्य विधाओं पर चर्चा की जाएगी। साथ ही महामारियों की चुनौती से निपटने की रणनीति बनेगी।
भारत के 17 संस्थानों के 27 प्रमुख व 300 से ज्यादा युवा वैज्ञानिक प्रतिभाग करेंगे। इसका उद्घाटन राखीगढ़ी उत्खनन के प्रमुख और राखीगढ़ी मैन के नाम से मशहूर आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर वसंत शिंदे करेंगे। सांस्कृतिक संध्या का भी रंग जमेगा। विदेशी मेहमानों को बनारस के मंदिरों की सैर कराई जाएगी। क्रूज से गंगा के घाटों और गंगा आरती दिखाई जाएगी। संयोजक बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे व सह-संयोजक डॉ. राहुल मिश्र ने कहा कि मंथन से जो माेती निकलेंगे, वह महामारियों की चुनौतियों से निपटने में कारगर साबित होंगे। आईआईटी बीएचयू के प्रो. वी रामनाथन और जनरल सेक्रेटरी सीजीडी की डॉ चंदना बसु व पुरातत्व विभाग के डॉ सचिन तिवारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे। DNA को पढ़ने की विधा (सिक्वेंसिंग) ने हमें मानव सभ्मिलको बखूबी समझने में मदद की है। इसमें परिवर्तन (म्युटेशन) से होने वाले रोगों के सटीक उपचार खोजने की दिशा में भी प्रगति हुई है। अब हम उच्च तकनीकी के कारण मानव के संपूर्ण जीनोम को सीक्वेंस कर पा रहे हैं। जल्द ही जीनोम के आधार पर सटीक दवाओं का निर्माण भी होने लगेगा। इन्हीं मुद्दों पर मंथन किया जाएगा।