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काशी हिंदू विश्वविद्यालय : भोजपुरी में लिखा पहला शोध प्रबंध जमा हुआ

Varanasi : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केंद्र से शोध छात्र धीरज कुमार गुप्ता ने ‘भोजपुरी पत्रकारिता क उद्भव अ विकास’ विषय पर 235 पेज का भोजपुरी भाषा में लिखा पहला शोध प्रबंध जमा किया। धीरज बताते हैं कि देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में यह पहला शोध है जो भोजपुरी भाषा मे लिखा गया है।

प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी के कुशल निर्देशन में प्रो. सदानंद शाही की प्रेरणा और पारिवारिक सहयोग से यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि, जब सरकार मातृभाषा के महत्व को स्वीकार कर रही है तो कम से कम विद्यार्थियों-शोधार्थियों को अपने मातृभाषा के प्रति इमानदार रहते हुये जहां भी मौका मिले अपने भाषा और बोली को सम्मान देना चाहिए।

अपने शोध के विषय में बताते हुये बताया कि इस शोध में भारत सहित विश्व के अलग-अलग देशों में पत्रकारिता का उदय कैसे हुआ, भारत में समाज सुधारकों द्वारा कैसे और किस परिस्थिति में भाषाई पत्रकारिता को शुरू किया गया, भोजपुरी जनपदों में पत्रकारिता के लिये किन परम्परागत संचार माध्यमों का उपयोग किया गया, भोजपुरी के साहित्यिक पत्रकारिता और पत्रकारिता के उदय और उसके सामाजिक योगदान को इस शोध के माध्यम से सामने लाकर भोजपुरी पत्रकारिता के भविष्य पर संभावित रुपरेखा को प्रस्तुत किया गया है।

यह एक दुरूह कार्य था जो विभागीय सहयोग के बिना संभव नही था। इस अवसर पर शोध निर्देशक प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी ने कहा कि भोजपुरी भाषा को लेकर इस शोध में समस्यायें तो आईं, लेकिन भोजपुरी जनपद काशी के निवासी धीरज ने इस काम को सलीके से करते हुये अपने मातृभाषा को सम्मान देकर समृद्ध करने का प्रयास किया। भोजपुरी पत्रकारिता पर पहले तो काम हुए हैं पर भोजपुरी भाषा में नहीं। भोजपुरी भाषा में यह अपने तरह का पहला शोध है।

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