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काशी साहित्य कला उत्सव : मैथिली ठाकुर के भजन और सूफी संगीत पर झूमा बीएचयू

Varanasi : BHU के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी साहित्य कला उत्सव के पहले दिन संगीत और साहित्य के प्रसिद्ध सितारों का जमावड़ा लगा। शाम में लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने अपना रंग जमाया। भजनों से लेकर सूफी संगीत तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा। शानदार प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।

स्वतंत्रता भवन सभागार में युवा श्रोताओं के साथ संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ दिखी। मैथिली ने ‘चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया’, ‘तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी’, छाप तिलक सब छीनी’, ‘मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर’, ‘हमें जिंदा रहने दो ए हुस्न वालों’ और ‘श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में’, आदि गाने पर तान छेड़ी तो लोग मंत्रमुग्ध हो उठे।
इससे पहले दोपहर में व्योमेश शुक्ल के निर्देशन में राम की शक्तिपूजा का मंचन किया गया। कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुतियों से दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ी। कथक से लेकर भरतनाट्यम के साथ ही नृत्य की कई मुद्राओं की झलक देखने को मिली। युवा लेखक दिव्य प्रकाश दूबे ने अपनी कृतियां मसाला चाय, मुसाफिर कैफे, अक्तूबर जंक्शन पर चर्चा की। कवि सम्मेलन में रश्मि सबा, सपना मूलचंदानी, वसीम नादिर आदि ने काव्यपाठ कर सभी का ध्यान खींचा। वहीं, रितेश रजवाड़ा ने भी प्रस्तुति दी।

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