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Kokila Vrat 2023: कब और किस कामना से रखा जाता है कोकिला व्रत, जानें क्या है पूजा विधि और महत्व

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है। इस दिन गुरु पूर्णिमा और देवी लक्ष्मी और प्रभु नारायण की पूजा के साथ ही कोकिला व्रत भी रखा जाता है। इस साल कोकिला व्रत 2 जुलाई को रखा जाएगा। खुशहाल शादीशुदा जिंदगी की कामना के लिए कोकिला व्रत रखा जाता है। वहीं कुंवारी लड़कियां इस व्रत को मनभावन पति पाने के लिए रखती हैं। लड़कियां इस दिन भगवान शिव जैसा पति पाने की कामना महादेव और माता सती से करती हैं। किस विधि से पूजा और व्रत करने पर पूरी होगी मनोकामना जानें यहां।

कोकिला व्रत का शुभ महूर्त

आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि 2 जुलाई को रात 8 बजकर 21 मिनट पर शरू होगी और 3 जुलाई को शाम 5 बजकर 28 मिनट तक चलेगी। वहीं पूजा का शुभ महूर्त रात 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। करीब 1 घंटे तक पूजा-अर्चना कर भगवान शिव और माता सती का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

कोकिला व्रत का क्या है महत्व

धार्मिक मान्यता के मुताबिक माता सती ने महादेव को पति स्वरूप पाने के लिए बहुत ही जतन किए थे। उन्होंने भी कोकिला व्रत रखा था. इस व्रत को करने से उनको भगवान शिव पति के रूप में मिले। इस व्रत को जो भी पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखता है उसको मन पसंद जीवनसाथी मिलता है साथ ही शादी विवाह के बीच आ रही अड़चन भी दूर हो जाती है। इसी कामना के साथ कोकिला व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में माता सती को कोयल का रूप माना गया है। इसीलिए पूर्णिमा के दिन उनकी आराधना की जाती है।

क्या है कोकिला व्रत की पूजा विधि

पूर्णिमा के दिन ब्रह्म महूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करे। पूरे विधि विधान से भांग, धतूरा, बेलपत्र, फल अर्पण कर शिव-सती का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा के दौरान शिव को सफेल फूल और माता सती को लाल रंग के फूल चढ़ाएं। अंत में धूप और घी का दीपक जलाकर आरती करें और कथा पढ़ना न भूलें। व्रत के दौरान दिनभर कुछ भी न खाएं, शाम के समय पूजा-आरती करने के बाद फलाहार लिया जा सकता है। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। कोकिला व्रत को अगले दिन पारण करने के बाद ही पूर्ण माना जाएगा, उसके बाद ही अन्न खाया जा सकता है। इस विधि से व्रत और पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है और कुंवारी लड़कियों को मन के मुताबिक पति मिलता है।

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