भगवान कृष्ण और गोप बालकों का वेश धरे नन्हे बालक : भगवत स्मरण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति का सरलतम मार्ग है- प्रद्युम्न जी महाराज
Varanasi : मिर्जामुराद के सिरसा गांव में दीपक उपाध्याय क घर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा में गुरुवार को मथुरा के प्रसिद्ध कथावाचक पण्डित प्रद्युम्न महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम जन्मोत्सव का व्याख्यान किया। कान्हा सदन में चल रही कथा में प्रद्युम्न महाराज ने बताया कि भगवान कृष्ण का जन्म जेल में हुआ था। फिर भी वे माया से प्रेरित होकर गोकूल पहुंच गए।
नंद बाबा के घर जन्मोत्सव की खुशियां मनाई गईं। उन्होंने भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान मनुष्य योनी में जन्म लेकर दुख में भी सुखी जीवन जीने की सीख देते हैं। उन्होंने भगवान श्रीराम के जन्म का व्याख्यान करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम ने अयोध्या नरेश दशरथ के वहां जन्म लिया था। इसके बावजूद वे शालीनता, नम्रता और मर्यादा पुरुषोत्म कहलाते है। वे 14 वर्ष तक जंगलों में भटके। फिर भी उन्हें अभिमान नहीं था।
मनुष्य के पास थोडा सा धन आने के बाद अभिमानी बन जाता है। इस बीच महाराज के साथ आए संगीतकारों ने भगवान के भजन प्रस्तुत किए। भागवतकथा आयोजन ज्योतिषाचार्य दीपक उपाध्याय के भवन कान्हा सदन में चल रही है भागवत कथा में गुरुवार को कथाकार सतीष उपाध्याय आचार्य ने बाल गोपाल कृष्ण गोप बालकों की क्रीडाओं का वर्णन किया। कथाकार ने कहा कि भगवान अंतर्यामी असीम शक्ति के पूंज है। लेकिन उन्होंने अधर्म का नाश और धर्म की पुनस्र्थापना के लिए श्रीकृष्ण और श्रीराम सहित दशावतार धारण किए।
कथाकार ने गृहस्थ में रह कर सदाचार, परोपकार और सत्य के आधार पर जीवन जीने तथा सत्संग के जरिए सर्वव्यापी ईश्वर का नाम स्मरण करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भगवत स्मरण धर्म, अर्थ, काम मोक्ष प्राप्ति का सरलतम मार्ग है।व्यासपीठ में मुख्य रूप से सतीष उपाध्याय आचार्य, वासुदेव, दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी हैं। मुख्य यजमान अनिल उपाध्याय ने सपरिवार व्यास पीठ पोथी पूजन किया। परविंद उपाध्याय ने कथाकार का माल्यार्पण कर स्वागत किया।