माह-ए-रमजान : रोजा इफ्तार और मजलिसे इसाले सवाब का आयोजन, थी इन लोगों की मौजूदगी
Varanasi : माह-ए-रमजान के 11वें दिन हर साल की तरह इस साल भी वक्फ मस्जिद और कब्रिस्तान खास मौलाना भीर इमाम पितरकुंडा में रोजा इफ्तार और मजलिसे इसाले सवाब का आयोजन हुआ। वाराणसी के पहले मुबल्लिग फिर्कए जाफरी के मुतब्बहिरे आलम, पहले इमामे जुमा और इमानिया अरबी कालेज के पहले प्रिंसिपल मौलाना अली जव्वाद साहब, किल्ला के उस्ताद ए मोहतरम मौलाना सैयद इमदाद अली साहब, किल्ला आलल्लाहो मकामहू आदि ने मजलिसे इसाले सवाब का आयोजन किया।
मगरिब की अजान के बाद नमाज मौलाना सैयद जफर हुसैनी साहब किब्ला (इमामे जुमा शहर बनारस) ने अदा कराई। इफ्तार के बाद मज़ाहिर हुसैन और उनके साथियों ने सोज़ख्वानी की मजलिस को खिताब दिया।




आली जनाब मौलाना सैयद, मो. अकील साहब किब्ला, आले जवादुल ओलमा ने खिताब करते हुए कहा कि मौलाना इमदाद अली साहब ने बनारस में जो खिदमात किए हैं वो बेमिसाल हैं। उनकी खिदमातात और दीन के लिये जो काम किया वो आज भी यादगार है।
उन्होंने शहादते इमामे हुसैन का जिक्र करते हुए कहा कि आज दिन जो बाकी हैं वो शहादते इमामे हुसैन की वजह से है। इस मौके पर नौहाख्वानी और मातम अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने किया। वहीं इफ्तार में आए हुए मेहमानों का शुक्रिया सैयद मुनाजिर मंजू ने किया। मजलिस और इफ्तार में मुख्य रूप से मौलाना शबी हैदर हुसैनी, मौलाना इश्तेयाक साहब, मौलाना मेहदी रजा साहब, मौलाना फिरोज हैदर साहब, मौलाना बाकर बलियावी साहब, मौलाना गुलजार साहब, इकबाल हुसैन-एड, भोला भाई, हैदर कैफी आदि लोग थे।
