Maha Shivaratri 2023 : साल में एकबार खुलता है भगवान शिव का ये मंदिर, आने वाले सभी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं नीलकंठ
भारत में मौजूद भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं। इन मंदिरों में सालभर लाखों श्रद्धाुल आते हैं। भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए दूर-दूर से भक्तों की लाइन लगती है, लेकिन मध्यप्रदेश में महादेव का एक ऐसा मंदिर भी है, जो केवल महाशिवरात्रि वाले दिन ही खुलता है। भोलेनाथ का यह मंदिर मध्यप्रदेश के रायसेन में स्थित है। प्राचीन सोमेश्वर महादेव के नाम से मशहूर यह मंदिर एक ऊंचे से पहाड़ पर बना हुआ है। कहते हैं कि यह मंदिर 12वीं सदी में बना था। ऐसा माना जाता है कि जिसने यहां सोमेश्वर महादेव के दर्शन कर लिए, वह बहुत भाग्यशाली है।

मंदिर का इतिहास
जानकारी के अनुसार आजादी के बाद रायसेन स्थित भोलेनाथ के इस मंदिर और मस्जिद का विवाद खड़ा हुआ था, जिसके बाद से पुरातत्व विभाग ने मंदिर में ताले लगा दिए। सन् 1974 तक मंदिर में कोई प्रवेश नहीं कर सकता था। 1974 में रायसेन नगर के हिंदू समाज और संगठनों ने मिलकर मंदिर के ताले खोलने को लेकर अंदोलन शुरू किया । तब उस दौरान कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी ने खुद पहाड़ी पर बने इस मंदिर के ताले खुलवाए और महाशिवरात्रि पर यहां एक बड़े मेले का भी आयोजन किया। तभी से मंदिर को केवल महाशिवरात्रि पर खोलने की व्यवस्था लागू हो गई है।

12 घंटे के लिए खुलते हैं कपाट
इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर के कपाट साल में एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही खोले जाते हैं। भक्तों को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक सिर्फ 12 घंटे के लिए ही भोलेबाबा के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। प्रशासनिक और पुरुातत्व विभाग की मौजूदगी में सूर्यास्त के बाद मंदिर को खोला और बंद किया जाता है।

मन्नत पूरी होने के बाद करना होता है ये काम
भले ही यह मंदिर साल में एक बार खुलता हो, लेकिन भक्त यहां सालभर पहुंचते हैं। मंदिर के गेट पर ताला लगा रहता है। लेकिन भक्त गेट के बाहर से ही बाबा सोमेश्वर की पूजा करते हैं और मन्नत भी मांगते हैं। मन्नत मांगते समय ये लोग मंदिर के लोहे के गेट पर कलावा या कपड़ा बांधते हैं, जिसे मन्नत पूरी होने के बाद खोलना होता है।

सावन में करें दर्शन
मंदिर के बारे में एक प्रचलित बात यह है कि जब सूर्य की किरणें यहां के शिवलिंग पर पड़ती हैं, तो यह सोने जैसा चमकने लगता है। वहीं सावन के महीने में भक्तों के लिए खास व्यवस्था की जाती है। शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए अलग से यहां व्यवस्था की गई है। लोहे का जाल लगाकर भगवान शिव को दूर से देखा जाता है और एक पाइप के जरिए शिवलिंग पर जल भी चढ़ाया जाता है।