महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ : कुलपति प्रो. टी.एन. सिंह सहित पांच सदस्यों का नैक की राष्ट्रीय आकलन समिति में चयन
#Varanasi : भारतीय संस्कृति राष्ट्रीय स्वाभिमान के सिलसिले में मौजूदा सरकार ने अनेक योजनाओं का खाका खींचा है। संस्कृत भाषा की उदात्तता की रक्षा, उसकी गौरवशाली पारम्परिक स्मृतियों का संरक्षण, सुस्पष्ट भविष्यदृष्टि का निर्माण आदि अनेक ऐसे पहलू हैं जिनपर नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) ने एक पृथक कार्ययोजना तैयार की है। इस दिशा में संस्कृत भाषा केन्द्रित उच्च शिक्षा परिदृश्य के राष्ट्रीय स्तर की बाह्य आकलन समिति का गठन किया गया है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के यूजीसी नोडल अधिकारी प्रो. निरंजन सहाय ने बताया कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टी.एन. सिंह सहित समिति में और पांच सदस्यों का चयन किया गया है। गौरतलब है, इस वक्त भारत में अट्ठारह संस्कृत विश्वविद्यालय और सौ से भी अधिक महाविद्यालय सक्रिय हैं। भारत सरकार की पहल पर नैक द्वारा गठित यह समिति संस्कृत भाषा और साहित्य केन्द्रित उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास और संवर्धन पर विचार करेगी। समिति संस्कृत भाषा केन्द्रित बहुआयामी रणनीतियों का निर्माण करेगी और कार्यान्वयन के लिअ गठित विभिन्न समितियों की निगरानी भी करेगी।
संस्कृति और भाषा दोनों का होगा संरक्षण
नैक के निर्देश पर गुरुवार को इस सिलसिले में पहली बैठक का आयोजन हुआ जिसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सम्पन्न किया गया। विद्यापीठ के यूजीसी नोडल अधिकारी प्रो. निरंजन सहाय ने बताया कि प्रो.टी.एन. सिंह सहित, डॉ. श्रीनिवास वारखेड़ी (कुलपति कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक), चांद किरण सलूजा (अकैडमिक डाइरेक्टर संस्कृत विकास फाउन्डेशन), प्रो.एच.ए.रंगनाथ (ट्रिपल आईटी कांचीपुरम) और नैक एडवाइजर अमिय कुमार रथ सम्मिलित हुए। बैठक में यह तय किया गया कि भारत के अट्ठारह संस्कृत विश्वविद्यालयों और सैकड़ों संस्कृत महाविद्यालयों के लिए एक सुस्पष्ट कार्ययोजना का निर्माण होगा जिसमें संस्कृत के संरक्षण, संवर्धन, विकास के लिए दिशानिर्देश बनेंगे साथ ही संकृत पाठ की विभिन्न शैलियों, उच्चारण, लयात्मकता आदि के निर्वाह हेतु भी रणनीतियों का निर्माण होगा। गौरतलब है, नैक ने समिति को विभिन अनुशंषाओ के निर्माण के लिए महीने भर की अवधि दी है।