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काशी वाले सुर के पुरोधा : इनकी सफलता के आड़े नहीं आयी दिव्यांगता, भोजपुरी इंडस्ट्री में फहरा रहे प्रतिभा का परचम

Varanasi : संगीत कला की साधना हर कोई नहीं कर सकता, लेकिन जो इस साधना को कर लेता है उसका जीवन सफल हो जाता हैं। यह मानना हर उस कलाकार का है जो सभी चुनौतियों को पार कर के अपने सपनों में संगीत भरने की कोशिश करता हैं। ऐसी ही कहानी है एक दिव्यांग कि जो ठीक से चल फिर नहीं पाते लेकिन प्रतिभा में वह सबसे तेज हैं। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के रोहनिया विधानसभा अंतर्गत निदौरा (ढोलापुर) गांव के संदेश सांवरिया की जो जन्मजात विकलांग पैदा हुए थे, लेकिन इस कमजोरी ने उन्हें अपने जुनून को पूरा करने से नहीं रोका। संदेश सांवरिया हमेशा से ही एक संगीतकार और विशेष रूप से एक भोजपुरी इंडस्ट्री में प्रोड्यूसर बनना चाहते थे।

मीडिया से बात करते हुए संदेश सांवरिया ने कहा कि उन्हें बचपन से ही हिंदी और भोजपुरी गानो का शौक था। विशेष तौर पर भोजपुरी गानों के लिए उनकी आदत धीरे-धीरे बढ़ी जब उन्होंने अपनी संगीत में परफेक्शन हासिल की और यूट्यूब चैनल द्वारा उनको सिल्वर बटन मिला। उन्होंने कहा, “मुझे बचपन से ही भोजपुरी गाना सुनने और गानों को बनाने में दिलचस्पी रही है। सन 2004 से ही भोजपुरी इंडस्ट्री में अथक प्रयास करने के बाद सन 2018 में उन्होंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस “शिव शंभू फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड” कंपनी बनाया। धीरे-धीरे, मैंने फिर अपनी संगीत कला के लिए परफेक्शन हासिल की।”

अपनी विकलांगता के बारे में बात करते हुए वाराणसी के संगीत कलाकार ने कहा कि वह एक लंगी विकलांग और विकृत पैरों के साथ पैदा हुआ था। हालांकि, संदेश सांवरिया को अपने आसपास के लोगों ने कभी भी डिमोटिवेट नहीं किया, सभी ने उन्हें अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। संदेश सांवरिया के पिता कन्हैया लाल ने गर्व से कहा, “मेरे बेटे के हाथ और पैर पूरी तरह से उसके जन्म पर नहीं बने थे, लेकिन वह बचपन से ही भोजपुरी संगीत सुनना और गाना पसंद करता था। उसके शिक्षकों ने उसकी सराहना की, जिसने उसे और अधिक प्रेरित किया था।”

अभ्यास और धैर्य सफलता की है कुंजी
संदेश सांवरिया आमतौर पर सभी प्रकार के गानों को अपने चैनल पर रिलीज करते हैं।लेकिन उनकी रुचि भोजपुरी संगीत में ज्यादा है। उन्होंने कहा, “भोजपुरी संगीत गाना वास्तव में बहुत मुश्किल है।” भोजपुरी संगीत गाने और प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने तक के सफर की, अपनी कठिनाइयों को बताते हुए संदेश सांवरिया ने कहा, “यह बेहद जरूरी है कि सब कुछ पूरी तरह से अच्छा किया जाए। यहां तक ​​कि एक गलती भी पूरे एल्बम को बर्बाद कर देती है।”

मुश्किल वक्त में मिला दोस्त का साथ
संदेश सांवरिया जन्मजात से ही विकलांग पैदा हुए थे और एक निहायत गरीब परिवार से हैं। उनके जुनून और जोश के आगे किस्मत से भी माथा टेक दिया।और उनके कार्य करने के जज्बे को विकलांग नहीं होने दिया। संदेश सांवरिया ने बताया कि लगभग बीस सालों से भोजपुरी इंडस्ट्री में अपनी किस्मत चमकाने में लगे हैं। अब तक संदेश सांवरिया ने 130 गानों से भी ज्यादा एल्बम रिलीज कर चुके हैं। गरीबी और पैसे की किल्लत होने के कारण उनको प्लेटफार्म नहीं मिल रहा था। लेकिन इसी बीच उनको एक मित्र उमाशंकर पटेल नामक मित्र मिला जिन्होंने उनके इस जुनून को देखकर उनका साथ देने का संकल्प लिया। आज दोनों दोस्त साथ में ही भोजपुरी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने में लगे हैं। साथ ही उमाशंकर पटेल एक अच्छे कलाकार भी हैं जो खुद एल्बम में मेन हीरो का रोल भी अदा करते हैं।

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